छिन्दवाड़ा लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम मुकाम पर पहुँच गया है ! दोनों की प्रमुख राजनीतिक दल पूरा जोर प्रचार में लगा रहा है ! वहीँ दूसरी और ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां हो रही है ! भाजपा के सभी प्रमुख स्टार प्रचारकों का छिंदवाड़ा आगमन हो गया है , 16 तारीख को प्रधानमंत्री के बाद दुसरे बाले नेता और देश के गृह मंत्री भी अपना जलवा जिला मुख्यालय में दिखने आ रहे है !
कांग्रेस से नाथ पिता पुत्र जिले के सुदूर अंचलों में और नकुल नाथ की माता अलकानाथ और पत्नी प्रिया आम मतदाताओं खासकर महिलाओं के बीच पहुंचकर सीधा संबाद स्थापित कर अपनी बात पहुंचा रहे है ! वहीं भाजपा के आयातित रणनीतिकार सिर्फ और सिर्फ दलबदल करने में उलझे हुए है, उनका मानना है की कांग्रेस के बड़े नेताओं को अपने पाले में लाने से उनके समर्थक भी भाजपा के वोट बैंक को बूस्ट देगा !
भाजपा के रणनीतिकार इस आदिवासी क्षेत्र को महानगरों की मानिंद मान रहे है , यहीं वे गलती कर रहे है की छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र ठेठ आदिवासी अंचल में सांस लेता है ! भाजपा की यहीं भूल कर रही है , अंचलों में भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू पहुँच पा रहे है और न ही इन क्षेत्रों में भाजपा का संगठन भी हांफता हुआ नजर आ रहा है !
भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू स्टार प्रचारकों को चकाचौंध में ही उलझाकर रह गए है ! वे चाहकर भी जिला मुख्यालय से निकल नही पा रहे है ! इसकी कमी प्रत्याशी महसूस कर रहे है, परन्तु व्ही आई पी के दौरे में उनका रहना मजबूरी बन गया है ! क्या ये कमी भाजपा को नुक्सान तो नही पहुंचेगा ?
कमलनाथ लोगों के बीच पहुंचकर अपने ४५ सालो में किए गए केंद्र और राज्य सरकारों में रहते हुए जिले में हुए विकास कार्य गिनवा रहे है ! वहीं भाजपा के पास जिले के विकास में किए गए कार्यों का न तो कोई सटीक जबाब है और न ही कोई समाधान ! इस मामले में भाजपा का बटुआ खली नजर आता है ..
छिंदवाडा लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों के एक-एक मंजरे टोले में कांग्रेस से कमलनाथ और प्रत्याशी नकुलनाथ के हैलीकाप्टर मंडराते हुए बरबस ही मतदाताओं के अपनी और खींच रहे है ! नाथ पिता पुत्र ने लगभग पूरे लोकसभा क्षेत्र को रौंध डाला है ! राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में भाजपा-कांग्रेस के मुकाबले प्रचार में बहुत पिछड़ता हुआ नजर आ रही है ! अब यह वक्त दोनों की दलों के रणनीतिकारों को सोचना होगा की कौन किस रणनीति पर काम कर अपनी सफलता के नजदीक पहुँच रहा है या किसके लिए अब भी अंगूर खट्टे है ….राकेश प्रजापति