बोमल्या एवं लावाधोघरी में “बच्चे बोले में भी बाघ”

मध्यप्रदेश ईकोपर्यटन विकास बोर्ड की यह अवधारणा है कि जन सामान्य में वन, वन्यप्राणी एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता विकसित की जाये। जागरूक समाज ही प्रकृति एवं जैव विविधता संरक्षण के मार्ग को प्रशस्त कर सकता है। स्कूली विद्यार्थियों की इस संकल्प की पूर्ति में अहम भूमिका है। यदि स्कूली विद्यार्थी पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी व्यवहार रखते हैं तो समाज में प्रकृति संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता स्वतः ही विकसित हो सकती है। विद्यार्थी ईकोपर्यटन के शक्तिशाली प्रचारक सिध्द होंगें इसी अवधारणा पर अनुभूति र्कायक्रम की परिकल्पना की गई है….

इसी तारतम्य में गत दिवस वनपरिक्षेत्र सांवरी में मध्यप्रदेश ईकोपर्यटन विकास बोर्ड और छिंदवाडा वन विभाग द्वारा क्रमश: बोमल्या एवं लावाधोघरी के शासकीय स्कूल के 286 बच्चो के विकास एवं प्रो प्लेनेट पीपल के उद्देश्यों को समझाने के लिए अनुभूति शिविर का सफल आयोजन हुआ !

कार्यक्रम को इको फ्रेंडली एवं ” मै भी बाघ “ थीम दिया गया 1 संवहनीय विकास की धरा से अनुभूति शिविर को जोड़ते हुए वनमंडलाधिकारी श्री ईश्वर जारंडे नेतृत्व में कार्यक्रम में अधिक से अधिक लघु वनोपज एवं उससे बनी वस्तुओं का उपयोग किया गया। बच्चों के कुटकी, कोदो से बने खीर ,दलिया ,उपमा बिस्किट , महुआ लड्डू , आंवला आचार चटनी , आंवला बर्फी जैसे स्वादिष्ट व्यंजन खिलाए गए ! वहीं अर्जुन छाल एवं लेमन ग्रास की स्वास्थ्यवर्धक ग्रीन टी के स्वाद से रूवरू कराया गया !

दिनी ही शिविरों में  स्कूली छात्र  छात्राओं  को विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय एवं वनों के विकास की मुख्यधारा में जोड़ने वाली गतिविधियाँ कराई गई ! आओ बनाए हम अपना बाघ प्रतियोगिता में बच्चों ने मिटटी से बाघ के मुखोटे बनाए , कलर किया वहीं छोटे बच्चों ने पेपर क्राफ्ट  से अपना बाघ बनाया ! वही कई अन्य गतिविधियाँ जैसे अपना जंगल बनाए ,प्रतियोगिता में बच्चों ने फूल पत्तियां , मिटटी पत्थर से अपना जंगल बनाए और गीली मिटटी से वन्य प्राणियों की आकृतियाँ उकेरी। पुरुस्कार स्वरूप बच्चो के बेम्बू से बने गिफ्टस जैसे पेना स्टेंड , काम्ब, इत्यादि दिए गए एवं उनका महत्व समझाया गया ।

जड़ी बूटी पहचानो , बाघ श्रृंखला बना जैसी कई प्रतियोगिताएं हुई जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़कर बंबू प्रोडक्ट्स के आकर्षित गिफ्ट पुरस्कार में बच्चों को बंबू से बने गिफ्ट जैसे पेन बोतल कब इत्यादि इत्यादि दिए गए एवं उनका महत्व समझाया गया !

दिव्यांग छात्रों ने भी लिया भाग :- दिव्यांग बालिका छात्रावास जिला शिक्षा केंद्र छिंदवाड़ा से 30 दिव्यांग बालिकाओं ने भी अनुभूति शिविर में भाग लिया एवं बाघ के मुखौटे पहन कर मैं भी बाघ थीम के गीत गए वहीं कार्यक्रम में अन्य गतिविधियों में नेचर ट्रेल पेपर क्राफ्ट एवं जंगल से जुड़ी गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया !

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्थानीय पांढुर्णा विधायक श्री निलेश उईके की बिशेष उपस्थिति में उक्त रोचक एवं उपलब्धि पूर्ण कार्यक्रम संपन्न हुए ! इस सफलतम कार्यक्रम के आयोजन  पर वन परिक्षेत्र अधिकारी सांवरी सुश्री कीर्तिवाला गुप्ता को उन्होंने बधाई देते हुए छात्र-छात्राओं भी जंगल एवं प्रकृति संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में शासन के द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों को विस्तार पूर्वक समझाया एवं बच्चों से अपेक्षा कि वे पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के महत्व को समझते हुए समाज के अंदर वन पर्यावरण और वन्यजीवों के प्रति जागरूकता पैदा करने का काम करें..