सीएए कानून मूल रूप से राष्ट्र विरोधी : शशि थरूर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) को मूल रूप से राष्ट्र विरोधी करार दिया और सरकार से इसे लागू नहीं करने का आग्रह किया। सीएए कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उत्पीड़ित गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

इसे साल 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था और तब देश के विभिन्न हिस्सों में इसके खिलापफ विरोध-प्रदर्शन हुए थे। सरकार की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा के बाद से ही सीएए को भी वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही है। ऐसे में संसद के शीत सत्र के दौरान आया शशि थरूर का यह बयान एक बार फिर सीएए के मुद्दे को हवा देता दिख रहा है।

थरूर ने अपनी बात कहने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने एक ट्वीट किया कि सीएए मूल रूप से राष्ट्र-विरोधी है और मैं सरकार से इसे लागू नहीं करने का आग्रह करता हूं। सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। इसके तहत इन समुदायों के लोग जो इन देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे, उन्हें अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

संसद द्वारा सीएए कानून के पारित होने के बाद देश में व्यापक स्तर पर लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किए थे। सीएए का विरोध करने वालों का तर्क है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला है और संविधान का उल्लंघन करता है। उनका यह भी आरोप है कि सीएए कानून के साथ-साथ राष्ट्रीय नागरिक पंजी का उद्देश्य भारत में मुस्लिम समुदाय को लक्षित करना है।