ऐसा था मेरा छोटा भाई डी के प्रजापति ….

डी के भाई की दूसरी पुण्यतिथी पर श्रद्धांजलि ….

समय कितनी तेजी के साथ गुजर जाता है, मानो कल की ही तो बात है, आज से अमूमन चालीस साल पहले समाजवाद शब्द मेंने डीके भाई से ही सुना था। जिसकी करनी और कथनी में कोई फर्क ना हो उसका नाम है डी के प्रजापति । कभी भी अपने सिद्धांत के साथ समझौता नही किया। धरतीपुत्र किसानो के मुद्दे तो कोई उनसे समझे, जहाँ आज पूरे देश के किसानो ने WTO  का पुतला जलाया दहन किया , अगर भाई डी के प्रजापति होते तो छिन्दवाडा मे अनेक स्थानो पर पुतला दहन होता ! पुलिस पुतला छिनती डी के भाई अपने साथियो के साथ पुतला छीनते और पुतला दहन करके ही मानता !.किसानो के हक मे लडते हुये जेल जाना पसंद करता पर समझोता कतई नही ….

अपना हक लेना है तो लडना पडेगा उनके द्वारा लगाया गया नारा “ जीना है तो मरना सीखो, कदम कदम पर लडना सीखो “ आज भी मेरे कानों मे गूंज रहा है । बहुमुखी प्रतिभा के धनी दी के भाई में वकालत का हुनर भी लाजबाव था ,जो मुकदमा हाथ में लिया उसे जीतना तय है , अपनी पूरी ताकत लगा देते थे, अपने क्लाइंट को जीताने के लिए। मुकदमा दिवानी हो या फौजदारी सबमें पारंगत थे डी के भाई । अपने पक्षकार को जिताने के लिए अगर जज से भी पंगा लेना पडे तो तैयार थे । भष्टाचारी तो उनसे थर-थर कांपते थे । मजदूरो के तो वे मसीहा थे ।

जहाँ डी के भाई खडे हो गये वहां मजदूरो का हुजूम लग जाता था ।”  मजदूरो की लूट और पूंजीपति को छूट नही चलेगी  ” उनका प्रिय नारा था । कोई पूंजीपति उनके ईद-गिर्द फटक भी नही सकता था। अपने माता पिता का सम्मान तथा उनकी देखभाल करना तो कोई डी के भाई से सीखता .जब उनके पिता जी का स्वास्थ्य खराब हुआ तो में उन्हे देखने अस्पताल गई तो देखकर दंग रह गई ! सारी रात जागते और कहते जब मे बीमार होता था तो पिता जी भी तो सारी रात जागते थे ,आज मेरी बारी है। परिवार में  भाई-बहनों से भी बेहद प्यार करते थे, इसी कारण आज छोटा भाई राकेश अपने को एकदम अकेला महसूस करता मानो शेरों की जोड़ी में एक शेर कम हो गया । सम्पूर्ण व्यक्तित्व के धनी थे डी के भाई

नारी का सम्मान करना तथा उसे अपने बराबर खडे होने की शिक्षा उन्होने अपने साथियो कोई दी , अपनी पत्नी को हमेशा साथ लेकर चलते थे । डी के भाई आपका समय से पहले चले जाना बहुत खलता है । आपकी प्रेरणा से रेल संघर्ष समिति बनी और कई ट्रेन छिन्दवाडा से चलने लगी परन्तु दुःख इस बात का हमेशा रहेगा कि इसके पूर्व आप अपनी अनंत यात्रा पर हम सबको बिना बताए चल दिए ..  आपके साथी तुम्हारे सपनो को मंजिल तक पहुंचायेगा, इन्ही शब्दो के साथ सादर नमन ….                                                                                                                                                     एडव्होकेट आराधना भार्गव