प्रदेश में बढ़ रहा है जटायु का कुनबा ..

मध्य प्रदेश के वन महकमे में कुर्सी तोड़ रहे और वातानुकूलित कमरों में पल रहे इंसानी गिद्धों से अपने अस्तित्व को बचाए रखने की जद्दोजहद में जटायु के वंशज पारिस्थितिक असंतुलन और विकास के नाम हो रहे विनास के बीच अपना अस्तित्व बचाए हुए है ! विलुप्तता की कगार में पहुँचने बाली इस प्रजाति को प्रकर्ति का स्वीपर कहा जाता है , शुक्र है कि प्रक्रति की यह अनमोल धरोहर आज भी जिन्दा है  परन्तु समय पर ध्यान नही दिया गया तो भविष्य में हम इसे पोस्टरों में ही देख पाएँगे … राकेश प्रजापति 

मध्यप्रदेश का यह सौभाग्य है की यहाँ इनका  कुनबा फलफूल रहा है और इस प्रजाति ने प्रदेश की छाती पर संरक्षण का तमगा लगा कर गौरवान्वित किया है ! प्रदेश बाघ, घड़ियाल, तेंदुआ के बाद अब गिद्धों की संख्या में भी देश में अव्वल रहने की संभावना बढ़ गई है। प्रदेश में 2024 की गिद्ध गणना 16 से 18 फरवरी तक हुई। इसमें प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा संख्या में गिद्ध होना पाया गया। हालांकि अभी यह अंतिम आंकड़ा नहीं है।

प्रथम चरण में की गई गणना में अभी कई जगह से आंकड़े मिले नहीं हैं। ऐसे में अप्रैल 2024 में प्रदेश में गिद्धों की संख्या को लेकर अंतिम आंकड़े जारी किए जाएंगे। हालांकि, वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे पहले 2021 में भी सबसे ज्यादा गिद्ध प्रदेश में ही पाए गए थे। 2021 में 9446 गिद्ध गणना में मिले थे। दूसरे कई राज्य गिद्धों की गणना नहीं कराते हैं, हालांकि पिछली बार तमिलनाडु और गुजरात ने गिद्धों की गणना कराई थी। जिसमें तमिलनाडु में पांच हजार और गुजरात में चार हजार गिद्ध पाए गए थे।

मध्य प्रदेश में 2019 में गिद्धों की संख्या 7906 थी। यहां गिद्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वन विभाग और वन्य प्राणी संस्थान ने संयुक्त रूप से प्रदेश के सभी सात टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क, वन्य प्राणी अभ्यारण्यों समेत 33 जिलों के 900 से अधिक स्थानों पर गिद्धों की गणना की थी। इसमें हर जगह गिद्धों की संख्या बढ़ी। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में संरक्षित वन क्षेत्र ज्यादा है, इसलिए गिद्धों की संख्या बढ़ रही है। प्रोटेक्टेड एरिया प्रदेश में टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क, वन्य प्राणी अभयारण्यों की संख्या ज्यादा होने के कारण अधिक है।

जटायु के वंशज गिद्ध मृत बड़े जानवरों को ही खाते हैं। इससे वे संक्रमित बीमारियों को फैलने से रोकते हैं। गिद्ध पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जानकारी के अनुसार 1990 के आसपास देश में गिद्धों की संख्या चार करोड़ के आसपास थी, जो लगातार घटती गई। भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें से चार विलुप्तप्राय हैं।