मैं नेता नहीं आपके परिवार की बेटी-बहू हूं- प्रियानाथ

लोकसभा निर्वाचन छिन्दवाड़ा में मतदान को लेकर अब कुछ दिन ही शेष बचे है ! राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों द्वारा प्रचार प्रसार तेज होते जा रहा है ! इसी तारतम्य में कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ की पत्नी प्रिय नाथ लोगों के बीच पहुँच कर अपनी बात मतदाताओं के बीच रख रही है ….

प्रिय नाथ ने मतदाताओ से अपनी बात कुछ इस ढंग से रखी कि समाज के हर वर्ग का ध्यान पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी व सांसद नकुलनाथ जी ने रखा है। आज मैं यहां आप सभी के बीच केवल वोट मांगने नहीं बल्कि आपका प्यार और विश्वास मांगने आई हूं। ठीक इसी प्रकार आगे भी आपके बीच आऊंगी और मिठाई खाने के उपरांत आपकी समस्याओं को सुनूंगी और श्री नकुलनाथ एवं श्री कमलनाथ जी तक उसे पहुंचाऊंगी भी, क्योंकि शुरुआत में ही मैंने आप सभी से कहा था कि हमारा पारिवारिक रिश्चता है। उक्त उदगार आज श्रीमती प्रियानाथ ने अपने जनसम्पर्क के दौरान व्यक्त किये। श्रीमती प्रियानाथ ने आयोजित कार्यक्रमों में नेतृत्व और अपनत्व की झलक दिखाई दी।

श्रीमती प्रियानाथ ने उपस्थित मातृशक्ति को सम्बोधित करते हुये कहा कि बुरे वक्त में जो हमारे साथ खड़ा होता है वही परिवार का सदस्य होता है। आप सभी को याद होगा कि कोरोना संक्रमण काल के चार दिन पहले ही प्रदेश की श्री कमलनाथ जी की सरकार गिराई गई थी और मैं स्वयं कोरोना से संक्रमित थी फिर भी श्री कमलनाथ व नकुलनाथ जी जिले के लिये रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन सहित अन्य आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति करने में जुटे थे तब भाजपा के लोग कहां थे, उनकी सरकार थी फिर भी उन्होंने कुछ नहीं किया। हम महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहे हैं और यह क्रम निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने अपने उदबोधन में आगे कहा कि मैं नेता नहीं बल्कि आपके परिवार की बहू और बेटी हूं। सारंगबिहरी की आयोजित नुक्कड़ सभा को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि आज पहली बार आपके बीच आई हूं और यह वादा करती हूं कि आगे भी आती रहूंगी, किन्तु आज एक वादा आप लोगों से भी लेकर जाती हूं कि 19 अप्रैल को आप सभी नकुलनाथ जी को वोट देकर उन्हें पुन: सेवा का अवसर प्रदान करेंगी।

सौंसर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सारंगबिहरी, तंसरामाल, सिमरिया व पौनार में श्रीमती नाथ ने सघन जनसम्पर्क करते हुये महिलाओं के बीच पहुंची जहां उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों के बीच में सांसद महोदय के निर्देश पर आई हूं वे कहते हैं कि जैसे हमारा दिल्ली का परिवार है वैसे ही हमारा छिन्दवाड़ा का भी परिवार है, किन्तु यहां की मातायें व बहनें थोड़ी संकोची है अपनी बात वे शिकारपुर तक नहीं पहुंचा पाती इसीलिये मुझे उन्होंने आप लोगों के बीच भेजा है ताकि आपकी बातों को सुनकर उन तक पहुंचा कर उन समस्याओं का निदान करवा संकू।