शासकीय शैक्षणिक संस्थान को कलंकित कर रहे है भ्रष्टाचारी….

शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय खिरसाडोह छिंदवाड़ा इनदिनों प्रभारी प्राचार्य के विचित्र और विस्मयकारी कारनामो के चलते सुर्ख़ियों में है ! प्रभारी प्राचार्य आर के पांडे की कार्यशैली हैरतअंगेज और आश्चर्य चकित करने बाली है ? इन्हें सिर्फ और सिर्फ अर्थ से मतलब होता है फिर चाहे कोई भी कितना भी गलत और अवैधानिक कार्य क्यों न हो , अर्थ के सामने उसे अंजाम तक पहुंचा दिया जाता है ! फिर चाहे वह भविष्य में जिन्न की तरह परेशान करने बाला क्यों न हो ? परन्तु प्रभारी प्राचार्य आर के पांडे को भविष्य की चिंता और संस्था की प्रतिष्ठा से कोई सरोकार नही ? तभी तो बिंदास अंदाज में गलत कार्यो को अंजाम देने का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है ! अनेको शिकायते होने के बाद भी इनके रवैये और कार्यप्रणाली में कोई अंतर नही आया है ! ऐसे में सवाल उठता है की जिला प्रशासन में है कोई माई का लाल ईमानदार अधिकारी जो इसकी काली करतूतों को बेपर्दा कर उसे काल कोठरी की चौखट तक पहुंचा सके ? अनेको शिकायतों के बाबजूद सक्षम अधिकारी भी उसी भष्टाचार की गंगोत्री में प्राचार्य आर के पांडे के साथ रिश्वत की डुबकी लगा कर इस भ्रष्ट व्यवस्था के सहभागी हो गए है …….?

इसी कड़ी में हम आपके सामने शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय खिरसाडोह छिंदवाड़ा में चल रही अव्यवस्था और भर्ष्ट कृत्य को पेश कर रहे है किआ कैसे इस संस्था की साख पर बट्टा लगाने का कार्य को अंजाम दिया जाता है ! इसकी शिकायत जिला कलेक्टर छिंदवाडा को की गई थी परन्तु जिला कलेक्टर द्वारा भी इतने गंभीर मामले पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही न करना अनेको अनुतरित सवालो को जन्म देता है ? आखिर क्यों जिला प्रशासन इस भर्ष्ट अधिकारी को प्रश्रय क्यों दे रहा है ..? शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय खिरसाडोह में श्रीमती रितु मेवाडे, विभागाध्यक्ष सिविल इंजीनियरिंग द्वारा शासन को गलत जानकारी देकर नौकरी के साथ-साथ नियमित छात्र के रूप में शिक्षा ग्रहण करने एवं उपाधि प्राप्त करने में सफल हो गई आखिर कैसे ?

सूत्रों के मुताबिक श्रीमती रितु मेवाड़े विभागाध्यक्ष सिविल इंजीनियरिंग ने शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय खिरसाडोह में दिनांक 27 जून 2008 को पदभार ग्रहण किया था एवं तब से निरंतर वे इस पद पर कार्यरत हैं ! श्रीमती रितु मेवाडे विभागाध्यक्ष सिविल वर्ष 2008 में पूर्णकालिक एम. टेक. उपाधि प्राप्त करने हेतु द्वितीय सेमेस्टर में अध्यनरत थी !श्रीमती रितु मेवाड़े व्याख्याता सिविल के नियमित पद पर रहते हुए नियमित छात्र के रूप में उक्त पाठ्यक्रम के तृतीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर में भी अध्ययन करती रही एवं स्टाइफंड भी प्राप्त की और नियमित रूप से शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज से वेतन भी प्राप्त किया !

इस प्रकार उन्होंने अपने पदीय गरिमा को कलंकित कर शासन को गुमराह कर शासन से धोखाधड़ी की ! नियमित पद पर रहते हुए श्रीमती मेवाड़े द्वारा अध्ययन हेतु शासन से ना तो अनुमति प्राप्त की गई और ना ही उनके द्वारा इस हेतु अध्ययन अवकाश लिया गया ! ऐसा नही की इस बात की जानकारी प्रभारी प्राचार्य आर के पांडे को न हो परन्तु प्रभारी प्राचार्य ने अर्थ के लालच में शासन के साथ धोखाधड़ी कर स्वयं स्वार्थ में धर्तराष्ट की भूमिका निभाते रहे ? वही  श्रीमती मेवाड़े द्वारा उनकी यह उपाधि शासन के रिकॉर्ड में दर्ज हो सके इस उद्देश्य से चतुर्थ सेमेस्टर के अध्ययन के दौरान दिनांक 4 मार्च 2009 को इन्होंने प्राचार्य को अपने अध्ययन की सूचना दी एवं उसमें लिस्ट किया की यह स्नातकोत्तर उपाधि शासकीय रिकॉर्ड में सम्मिलित की जा सके ? आपसी मिलीभगत के कारण तत्कालीन प्रभारी विभागाध्यक्ष सिविल श्री आर के पांडे द्वारा इनका यह आवेदन प्राचार्य महोदय को अग्रेषित किया गया एवं प्रभारी विभागाध्यक्ष सिविल श्री आर के पांडे एवं प्राचार्य श्री प्रदीप अग्निहोत्री द्वारा नियम अंतर्गत श्रीमती मेवाड़े पर कोई कार्यवाही नही की गई एवं दो इंक्रीमेंट का फायदा भी दे दिया गया ! हाल ही में श्रीमती मेवाड़े एवं श्री आर के पांडे द्वारा कंसल्टेंसी में रिश्वतखोरी करने संबंधी वीडियो वायरल हुआ इसकी शिकायत भी शासन के विभिन्न स्तरों पर हुई थी जिसकी जांच वर्तमान में चल रही है और इन दोनों अधिकारियों पर कार्यवाही होना निश्चित है !

ज्ञात हो की यह दोनों अधिकारी पूर्व से ही विभिन्न भ्रष्टाचार के प्रकरणों में लिप्त रहे हैं जिसकी सूचना समय-समय पर शासन को एवं अधिकारियों को की गई है! उक्त प्रकरण में भी इन दोनों भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध मिलीभगत एवं नियमो का खुला उल्लंघन किया गया ? जिला प्रशासन अगर इसकी विस्तृत जांच तो श्रीमती मेवाड़े पर प्रभारी प्राचार्य को जेल जाने से कोई नही रोक सकता है ?   …….जारी