धृतराष्ट्र रूपी प्राचार्य ने अनधिकृत रूप से पुत्र को महाविद्यालय में प्रवेश दिलाया …………..

शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय खिरसाडोह छिंदवाड़ा और इसके  प्रभारी प्राचार्य डॉ आर के पांडे दोनों इन दिनों सुर्ख़ियों में है ! कारनामे अच्छे  हो तो  प्रसिद्धि पाते हैं परंतु कारनामे निकृष्ट हो तो सामाजिक प्रतिष्ठा तो जाती ही है साथ ही संस्थान की भी प्रतिष्ठा को खराब कर देती है ! पुत्र मोह में आसक्त एक पिता कितने अवैधानिक कार्य करता है महाभारत काल के धृतराष्ट्र के बाद इसका उदाहरण हमें महाविद्यालय के प्राचार्य आर के पांडे को देखने पर मिलता है ! परंतु संस्था के प्राचार्य सिर्फ पुत्र मोह से ही ग्रसित नहीं बल्कि अर्थ की रक्काशा के आलिंगन में मदहोश संस्था प्रमुख की तुलना वर्तमान समय में किसी संस्थान के प्राचार्य से  नहीं की जा सकती ? सामाजिक प्रतिष्ठा के कलंकित होने से बेखबर यह अपने अनैतिक ,अवैधानिक कार्यों को आज भी लगातार संपादित करते जा रहे हैं ! ऐसा नहीं है कि इनकी शिकायतें जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ शासन स्तर उच्चाधिकारियों से नही की गई है परंतु व्यवस्था को दीमक की तरह चट करने बाले नाकाम अधिकारीयों की भरमार के चलते और चांदी के चंद सिक्कों की खनक के सामने क्या नैतिक ,अनैतिक ,अवैधानिक शब्द भी फीके पड़ जाते हैं इसका सटीक उदाहरण संस्था के प्राचार्य आर के पांडे को देखने पर मिलता है साथ ही यह भी एहसास होता है कि जिले के वरिष्ठ भ्रष्ट अधिकारियों की पनाह में यह नागफनी का पौधा किस तरह पुष्पित पल्लवित हो रहा है…?

शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय खिरसाडोह के प्रभारी प्राचार्य डॉ आर के पांडे द्वारा कॉलेज लेबल काउंसलिंग में षडयंत्र पूर्वक स्वयं के पुत्र आदित्य विक्रम पांडे का अनधिकृत रूप से महाविद्यालय में प्रवेश कराया गया ? शैक्षणिक संस्था के प्राचार्य पद पर रहते हुए किस तरह कूटनीति के माध्यम से एक प्राचार्य द्वारा अपने सुपुत्र का गलत तरीके से एवं नियम विरुद्ध एडमिशन करा दिया गया यह देखने बाली बात है जो आश्चर्य चकित कर देती है !

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर के पांडे द्वारा उनके पुत्र आदित्य विक्रम पांडे का कॉलेज लेवल काउंसलिंग के दौरान योग्यता ना होते हुए भी कॉलेज के कर्मचारियों पर दबाव बनाकर गलत तरीके से दसवीं में प्राप्त अंकों की गणना कर मेरिट सूची में स्थान प्रदान किया गया एवं साथ ही साथ कई उच्च प्राप्तांक वाले छात्रों को यह कहते हुए कि सिविल ब्रांच में सीटें खत्म हो गई है उन्हें कॉलेज से भगा दिया गया और उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया गया ! कितने ही गरीब छात्र अच्छे अंक होने पर भी सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच में एडमिशन की चाह रखते हुए भी मायूस होकर घर चले गए एवं उनके साथ किए गए इस क्रूर कृत्य कि उन्हें जानकारी भी नहीं लग सकी ?

सूत्र बताते है की प्राचार्य  पुत्र आदित्य विक्रम पांडे को साइंस विषय में 52 अंक प्राप्त हुए थे एवं प्राचार्य तथा उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के षड्यंत्र द्वारा साइंस विषय के स्थान पर कंप्यूटर एप्लीकेशन विषय के प्राप्तांक 91 को जोड़कर प्रतिशत की गणना की गई एवं इसके आधार पर आदित्य विक्रम पांडे का उत्तीर्ण प्रतिशत 75.4 प्रतिशत दिखाते हुए उन्हें मेरिट में स्थान प्रदान किया गया , जबकि पॉलिटेक्निक में प्रवेश हेतु आवश्यक विषय साइंस एवं मैथ्स होते हैं वहीं प्रतिशत की गणना में इन दोनों विषयों के प्राप्त अंकों का समावेश किया जाना आवश्यक है

इसके  अलावा सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा में प्रवेश के इच्छुक कई उम्मीदवारों को प्राचार्य के सुपुत्र के महाविद्यालय में प्रवेश के अवसर सुनिश्चित करने के लिए यह कहते हुए भगा दिया गया की सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा मैं प्रवेश की सीटें अब नहीं बची है और इस तरीके से अन्य सभी उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया ! अगर इस जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के जमीर अगर जिन्दा हो और उनमे जरा भी शर्म बची हो तो प्राचार्य के इस कृत्य की निष्पक्ष जाँच की जाए और सही पाए जाने पर प्राचार्य सहित समस्त कर्मचारी एवं अधिकारी गण के विरुद्ध जिन्होंने इस षड्यंत्र में भाग लिया कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए ! जिससे आने वाले समय में कोई भी अन्य प्राचार्य एवं कर्मचारी ऐसा षड्यंत्र ना कर सके !………………..जारी