दिव्यांग से बलात्कार के आरोपी को आजीवन कारावास ..

कबीरा हाय गरीब की कभी ना खाली जाए ! मरे खाल की स्वांस सो लोह भस्म हो जाए !!  कबीर दास जी के दोहे के माध्यम से कहते हैं कि व्यक्ति को किसी का दिल नहीं दुखाना और बददुआ से चाहिए और वरना उसकी परिणिति होती है जैसे मरे हुए जानवर की खाल से बनी धुकनी की तपिश से लोहा तक भस्म हो जाता है इसलिए जिंदा इंसान की आह-बददुआ से व्यक्ति को बचना चाहिए वरना उसके किये पाप का दंड जीवनभर ढोना पड़ता है ! यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है ..

दिव्यांग बालिका को घर में अकेला पाकर बलात्कार की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी को न्यायालय ने आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है। मामला बालाघाट जिले के वारासिवनी का है। 20 फरवरी 2020 को पीड़िता के माता-पिता के घर में न होने पर पड़ोस में रहने वाले आरोपी प्रवीण सेलारे ने बालिका के दिव्यांग और अकेले होने का फायदा उठाया और उसके साथ दुष्कर्म किया।

पीड़िता की मां ने घर वापस आते समय आरोपी को घर से बाहर जाते हुए देखा। परिजनों के वापस आने पर बालिका ने उन्हें घटना के बारे में बताया। जिसके बाद आरोपी के खिलाफ पुलिस ने शिकायत दर्ज की और मामला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने प्रस्तुत गवाह और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी पाया और दिव्यांग बालिका से रेप के आरोप में धारा 450, धारा 376(2) (ठ) और पास्को एक्ट की धारा के तहत आजीवन कारावास और 2100 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। मिडिया रिपोर्ट