टाइगर वादा बिसरा गया है ….

कहते है की राजनेता सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए काम करते है राग, द्वेष ,लोभ , मोह ,स्वांग , भष्टाचार ,अपराध ,दगा देना और दिए वादे तोड़ना ये आज के राजनेताओं की कलाए है ! जिस तरह भगवान् कृष्ण को पूर्ण पुरुष के रूप में जान जाता है क्योंकि वही एकमात्र ऐसे अवतारी रहे है जो सोलह कलाओं से परिपूर्ण थे ! मै इन अधमो की तुलना भगवान् कृष्ण से नही कर रहा हूँ बल्कि व्याख्या कर रहा हूँ कि  मौजूदा दौर के लोकसेवक जो समाज सेवा के नाम पर सिर्फ और सिर्फ अपना ही स्वार्थ देखते ,सूंघते और चबाते है आवाम जिए या मरे इससे इनका कोई वास्ता नही ! परन्तु निरीह जनता के पास इनसे शोषित होने के अलाबा कोई और विकल्प फिलहाल नजर नही आता ? इनके वादों के शिकार समाज का अच्छा खासा पढ़ा लिखा वर्ग बीते 26 बर्षो से प्रताड़ित हो रहा है फिर भी इन्ही से आस लगाये हुए है ये कैसी विडंवना है …… राकेश प्रजापति 

सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाला चुनावी मैदान तैयार हो चुका है,इस उपचुनाव में देश भर की निगाहें टिकी हुई है।अगर बात की जाए सरकारों के घोषणाओं की उनके कार्यों की तो आज प्रदेश का सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा वर्ग महाविद्यालयों में वर्षो से पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों का है,जो मध्य प्रदेश के ही मूल निवासी हैं और नेट पीएचडी डिग्री धारी उच्च शिक्षित होने के साथ साथ अनुभवधारी भी हैं।लेकिन आज तक सरकारों ने इन्हे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में उपयोग किया हैं। 26 वर्षों से भविष्य सुरक्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे अतिथि विद्वान

कांग्रेस की सरकार ने गीता कुरान को साक्षी मानकर वचन दिया था की हमारी सरकार बनते ही इनको नियमित करेंगे लेकिन 2017 की विवादित पीएससी की नियुक्ति कर इन विद्वानों के साथ धोखा किया गया फिर सरकार के अंतिम दौर में नियमितीकरण की नोटशीट कमलनाथ मुख्यमंत्री रहते तैयार करवा दी थी अब उसको अगले कैबिनेट में रखना ही था की सरकार में उथल पुथल हुई और गिर गई सरकार।इसी चर्चित साहजहानी पार्क भोपाल में चले 140 दिन के आंदोलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विपक्ष में रहते हुए आए और नियमितीकरण का वादा किए साथ ही नरोत्तम मिश्रा,गोपाल भार्गव जैसे कद्दावर मंत्री भी अतिथि विद्वानों के पक्ष में सड़क से लेकर सदन तक खड़े दिखाई दिए।पर समय का बदलाव देखा जाए तो फिर अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर ही शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने,वीडी शर्मा प्रदेश अध्यक्ष,नरोत्तम मिश्रा और गोपाल भार्गव कैबिनेट मंत्री साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव हुए।ख़ुद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण को लेकर सड़क में उतर आए थे। टाइगर अभी जिंदा है इसी आंदोलन में आकर शिवराज सिंह चौहान बोले थे जो की काफ़ी चर्चित डायलाग रहा।लेकिन दुर्भाय की बात है सरकार बने 2 साल होने को आए आज तक अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण भविष्य सुरक्षित करने की तरफ़ एक भी कदम सरकार नही उठा पाई है।अब देखने वाली बात है की अपना वादा अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरा करते हैं की भूल जाते हैं। फिलहाल तो लगता है टायगर अपना वादा बिसरा (भूल )गया है ?

अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर ही मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है,लेकिन आज तक इस तरफ़ एक भी कदम सरकार नही उठाई है जो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है।मुख्यमंत्री मंत्री शासन प्रशासन से आग्रह है की तत्काल अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित कर एक बेहतरीन नीति बनाकर कैबिनेट में रखें जिससे विद्वान बची हुई जिंदगी जी सकें
डॉ आशीष पांडेय,मिडिया प्रभारी,अतिथि विद्वान महासंघ

मध्य प्रदेश के अलावा बीजेपी शासित कई राज्यों ने अतिथि विद्वानों को नियमित कर दिया है,उसकी जानकारी भी उच्च शिक्षा विभाग को दे दी गई है लेकिन आज तक विभाग सरकार इस तरफ़ ध्यान नहीं दी है,सरकार को एक उचित मजबूत निर्णय लेते हुए अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित करना चाहिए और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना वादा पूरा करना चाहिए।
डॉ देवराज सिंह ,अध्यक्ष,अतिथि विद्वान महासंघ