अतिथि विद्वान सिर्फ़ सियासत के मोहरा बनकर रह गए ….

भाजपा शासित अन्य राज्यों ने अतिथि विद्वानों को नियमित किया तो मध्य प्रदेश में क्यों नहीं ?  मध्य प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में लगभग 26 वर्षों से लगातार सेवा देते आ रहे अतिथि विद्वानों की मांग आज भी अधूरी है जबकि इन्हीं अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर कांग्रेस की सरकार गिरी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी…अब कहाँ गये ये वादाखिलाफ राजनेता जिन्हें सत्तालोलुपता ने वादा खिलाफ बना दिया ?  अतिथि विद्वानों की लाश पर  सत्तासुख भोग रहे इन राजनेताओ को कैसे नींद आती होगी जिन्होंने अतिथि विद्वानों को सत्ता प्राप्ति के लिए सिर्फ हथियार बना कर कमलनाथ सरकार का वध अनजाने में अतिथि विद्वानों के माथे पर मढ दिया ? क्या शिवराज, ज्योतिरादित्य सिंधिया,नरोत्तम मिश्रा  और गोपाल भार्गव को अतिथि विद्वानों का आन्दोलन ,साथियों की शहादत ,बेवाओ की सूनी मांगे ,अनाथ बच्चो की चीत्कार और अपने दिए वचनों की भी याद नही , जिनके असरे आज ये सत्ता सुख भोग रहे है , क्या यही है भाजपा की राजनीती का असली चेहरा ..?   राकेश प्रजापति …..

हिमाचल प्रदेश,हरियाणा,उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड आदि राज्यों में जहां बीजेपी की सरकार है व दिल्ली में भी अतिथि विद्वानों के जैसे लगातार 3 वर्ष से सेवा देने वालों को वहां की सरकारें नियमित कर चुकीं हैं लेकिन मध्य प्रदेश में आज तक नियमितीकरण की तरफ़ एक भी कदम सरकार ने नहीं उठाया है।अतिथि विद्वानों की मांग विपक्ष में रहते हुए हर नेताओं ने पूरे जोर शोर से उठाते हुए आए हैं,सड़क से लेकर सदन तक ज़ोरदार आवाज़ बुलंद किए लेकिन जैसे ही सत्ता की कुर्सी मिलती है तो किनारा करते हुए नजर आते हैं।आज अतिथि विद्वान अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं।कांग्रेस ने वचन दिया तो शिवराज,सिंधिया,नरोत्तम,भार्गव ने आंदोलन में जाकर नियमितीकरण का वादा किए तो खुद वीडी शर्मा ने कई बार मीडिया में बयान देकर कहा की अतिथि विद्वानों की मांग जायज है हम रास्ता साफ करेंगे।लेकिन आज तक अतिथि विद्वान सिर्फ़ सियासत के मोहरा बनकर रह गए।

डॉ आशीष पांडेय,मीडिया प्रभारी ने कहा कि सूबे के मुखिया आदरणीय शिवराज सिंह चौहान ने सैकड़ों मीडियाकर्मियों के सामने व लाखों जनता के सामने अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का वादा किया था।हम उनसे एक ही निवेदन करते हैं की अपनी बात को पूरा करें अपना वादा निभाए।उन्होंने जो कहा है हम वहीं मांग करते हैं।अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित करें।

डॉ देवराज सिंह,अध्यक्ष ने कहा कि आज कई राज्यों में अतिथि विद्वानों जैसे सेवा देने वालों को वहां की सरकारें नियमित कर चुकी हैं लेकिन आज भी 26 वर्षों से सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों का वनवास खत्म नहीं हुआ है।सरकार से अनुरोध है की 450 पदों में तत्काल च्वाइस फिलिंग प्रक्रिया शुरू करें और बाहर हुए विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करें।