UP सरकार को सुप्रीम कोर्ट की लगातार फटकार ….

लखीमपुर खीरी का मामला उत्तर प्रदेश सरकार के गले की हड्डी बन चूका है , एक और किसानो और विपक्षी दलो का लगातार दबाब , वहीं सुप्रीम कोर्ट की बार -बार फटकार से सरकार की छबि धूमिल हो रही है ! वहीं पुलिस और जाँच एजेंसियों की साख पर भी बट्टा लग रहा है  ….

गवाहों के बयान दर्ज करने में ढिलाई पर कोर्ट ने कहा- यह अंतहीन कहानी नहीं हो सकती , कोर्ट ने कहा- लगता है कि यूपी पुलिस जांच से पीछे हट रही थी, इस छवि को सुधारिए….

UP के लखीमपुर हिंसा मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) पर बुधवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में देर से रिपोर्ट दाखिल करने पर कोर्ट ने UP सरकार को फटकार लगाई। UP सरकार की तरफ से पेश वकील हरीश साल्वे से चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हमने बीती रात 1 बजे तक आपके जवाब का इंतजार किया था।  ज्ञात हो कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने UP सरकार से कहा था कि 20 अक्टूबर को होने वाले अगली सुनवाई से पहले अपना जवाब दाखिल कर दें।

 बयान दर्ज करने की सुस्ती से कोर्ट नाराज :- आज सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा कि हम कल बंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंप चुके हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आप आखिरी मिनट में रिपोर्ट देंगे तो हम कैसे पढ़ पाएंगे? कम से कम एक दिन पहले देनी चाहिए। अदालत ने ये भी पूछा कि इस मामले में UP सरकार ने बाकी गवाहों के बयान क्यों नहीं लिए? कोर्ट ने कहा कि आपने 44 में से अभी तक 4 गवाहों से ही पूछताछ की है, ऐसा क्यों? ऐसा लगता है कि यूपी पुलिस इस मामले की जांच से पीछे हट रही थी। इस छवि को सुधारिए।

कोर्ट ने आगे कहा कि आपकी SIT यह समझ सकती है कि सबसे कमजोर गवाह कौन-से हैं और उन पर हमला हो सकता है, तो फिर अभी तक सिर्फ 4 गवाहों के ही बयान दर्ज क्यों किए गए? इस पर साल्वे ने जवाब दिया कि प्रक्रिया अभी जारी है। पहली FIR के आधार पर अब तक 10 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

कोर्ट ने पूछा है कि इस मामले में कितने आरोपी पुलिस हिरासत में और कितने न्यायिक हिरासत में हैं, क्योंकि जब तक पुलिस उनसे पूछताछ नहीं कर लेती, तब तक हमें इस मुद्दे पर ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाएगी। साथ ही कोर्ट ने नसीहत दी कि ये एक अंतहीन कहानी नहीं हो सकती। उनसे कहिए कि गवाहों के बयान दर्ज करवाएं, इसके साथ ही गवाहों की सुरक्षा का मुद्दा भी अहम है। इस पर साल्वे ने भरोसा दिया कि गवाहों को सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी।

अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को :-UP सरकार ने दूसरे गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए और समय की मांग की तो अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 26 अक्टूबर तय कर दी। साथ ही कहा कि इससे पहले अगली स्टेटस रिपोर्ट भी पेश करें।

सरकार को लगातार फटकार :- लखीमपुर मामले की पिछली सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की जांच पर नाखुशी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने UP सरकार के वकील हरीश साल्वे से पूछा कि हत्या का मामला दर्ज होने के बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई? ऐसा करके आप क्या संदेश देना चाहते हैं?

उधर, SIT को लखीमपुर हिंसा के दौरान फायरिंग होने के सबूत मिल गए हैं। अब बस ये साफ होना बाकी है कि गोली किस-किसकी बंदूक से चली? इसके लिए पुलिस बैलिस्टिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के आरोपी बेटे आशीष को छोड़ बाकी आरोपियों ने ये कबूल किया है कि वे उस वक्त मौके पर थे। उन्होंने ये भी कहा है कि वे डिप्टी CM केशव मौर्य की अगवानी के लिए जा रहे थे। इस दौरान उन्हें भीड़ ने घेर लिया और भीड़ से बचने के लिए उन्होंने फायर किए।

ज्ञात हो कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर में हुई हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का बेटा आशीष मिश्र मुख्य आरोपी है।