आसमान से अमृत की वर्षा होती है….

आज रात्रि में शरद पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ श्रद्धा पूर्वक मनाया जाएगा.! शरद पूर्णिमा को कोजागरी राज पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है।  हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा को काफी अहमियत दी गई है. ज्योतिषियों के अनुसार पूरे वर्ष में सिर्फ शरद पूर्णिमा के ही दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण बताया जाता है!

ऐसी मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है. इस दिन चंद्रमा की पूजा होती है. इसके साथ सर्दियों की शुरुआत हो जाती है. मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है. पूर्णिमा की रात चंद्रमा की दूधिया रोशनी धरती को नहलाती है इसी दूधिया रोशनी के बीच पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.

खीर का महत्व :- शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रखनी होती है। इसके पीछे का तर्क है कि दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है. इस कारण चांद की चमकदार रोशनी दूध में पहले से मौजूद बैक्टिरिया को बढ़ाने में सहायक होती है। वहीं, खीर में पड़े चावल इस काम को आसान बना देते हैं। चावलों में पाए जाने वाला स्टार्च इसमें मदद करते हैं। इसके साथ ही, कहते हैं कि चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी सबसे अधिक होती है। इस वजह से शरद पूर्णिमा की रात बाहर खुले आसमान में रखी खीर शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती है.