बीजेपी नेताओं को हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया तुरन्त तबादला …..

दिल्ली में बीते तीन दिनों से जारी हिंसा पर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लेने वाले जस्टिस एस. मुरलीधर का तबादला दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया गया है.

विपक्षी दल कांग्रेस ने जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर केंद्र सरकार की आलोचना की है : – कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया है, “त्वरित न्याय!…जस्टिस एस मुरलीधर के नेतृत्व वाली न्यायपीठ ने जैसे ही बीजेपी नेताओं और सरकार को दिल्ली में हो रही हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया, वैसे ही रात भर में दिल्ली हाई कोर्ट से उनका तबादला कर दिया गया. काश, दंगाइयों से भी इतनी ही तेज़ी और तत्परता से निपटा जाता.”

हिंसा पर दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार :- दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि दिल्ली में दूसरे ‘1984’ को नहीं होने देंगे. दिल्ली हिंसा मामले पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. इसके अलावा नागरिकता संशोधन के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा में घायलों को सुरक्षा और बेहतर इलाज के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के घर 25 फरवरी को आधी रात को सुनवाई हुई थी.

बिना फीस के लड़े कई केस :- जस्टिस एस. मुरलीधर ने कई लोगों के केस बिना किसी फीस के लड़े हैं. इनमें भोपाल गैस त्रासदी और नर्मदा बांध पीड़ितों के केस भी शामिल हैं. जस्टिस मुरलीधर अपने कड़े फैसलों के लिए चर्चित रहे हैं. 1984 में हुए सिख दंगों में शामिल रहे सज्जन कुमार के मामले में भी जस्टिस एस. मुरलीधर फैसला सुनाने वालों में से एक थे. साल 2009 में नाज फाउंडेशन मामले की सुनवाई करने वाली दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच में जस्टिस मुरलीधर भी शामिल थे जिस बेंच ने पहली बार समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया था.

सुप्रीम कॉलिजियम ने बीती 12 फरवरी को जस्टिस मुरलीधर के तबादले को लेकर सुझाव दिया था जिसके बाद बुधवार को इससे संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे के साथ विचार-विमर्श करने के बाद फैसला लिया है.