पत्रकार पर जानलेवा हमला,पैंट उतरवा कर किया लिंग परीक्षण..

दिल्ली में पिछले 3 दिनों से सड़कों पर खूनी तांडव मचा हुआ है। अब तक इस हिंसा में 34 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 300 लोग घायल हैं। इनमें 60 के लगभग पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, मगर अभी भी हिंसा का यह दौर थमता नजर नहीं आ रहा।

सुशील मानव ने इस हमले की जानकारी अपने फेसबुक वॉल पर शेयर करते हुए लिखा है, ‘मौजपुरा गली नंबर 7 (इसी गली के सामने रतनलाल को गोली मारकर हत्या कर दिया गया था) में भगवा आतंकवादियों ने आज दोपहर हम दोनों पर जानलेवा हमला किया… बस मरते मरते बचे हैं… उन दहशतगर्दों ने हमारे पेट पर तमंचा लगाकर हमारी पैंट उतरवाया… एक पुलिसकर्मी के सही समय पर हस्तक्षेप से हमारी जान बची।’दंगे को कवर कर रहे कई अन्य पत्रकारों पर भी उपद्रवियों ने जानलेवा हमला किया है। कई की हालत गंभीर बनी हुई है। सुशील मानव और उनके सा​थी को भी इस जानलेवा हमले में काफी चोटें आयी हैं। इस हिंसा को कवर कर रहे पत्रकारों को भी उपद्रवी निशाने पर ले रहे हैं। पत्रकार का भी धर्म जानने के बाद उनके साथ पेश आ रहे हैं। दंगे को कवर करने के दौरान ही स्वतंत्र पत्रकार सुशील मानव पर भी मौजपुर में उपद्रवियों ने कल 26 फरवरी को जानलेवा हमला किया। सारी हदों को पार करते हुए पहले तो सुशील और उनके एक साथी को पीटा गया और उसके बाद तमंचे की नोक पर उनकी पेंट उतारकर लिंग परीक्षण कर हिंदू जान उन्हें बख्शा गया।

मिडियाविजिल  में प्रकाशित खबर के मुताबिक, सुशील को पहले गिरा दिया गया। पीटा गया। उनके साथ मंडी हाउस से एक और साथी थे। उनके कपड़े उतारकर देखा गया कि कहीं वे ‘मुसलमान’ तो नहीं। सुशील ‘हिन्दू’ थे इसलिए बच गये। उन्हें पहले तो दो तीन लोगों ने गिराया, फिर कई लोगों ने उन्हें घेर लिया। एक ने पेट में देसी कट्टा सटा दिया था। सुशील और उनके साथी वहां से बचकर निकले तो मुस्लिम मोहल्ले में लोगों ने उनका इलाज कराया। वहीं एक स्थानीय क्लिनिक में पट्टी बांधी गयी। मुस्लिम मोहल्ले में ज्यादातर लोग रिपोर्टिंग में मदद कर रहे थे। कुछ लोगों ने वीडियो करने से मना किया, लेकिन अधिकांश ने मदद की। लेकिन हिन्दू मोहल्ले में जाते ही यह घटना घटी। हिन्दू लड़के उनसे कह रहे थे कि आपलोग ‘मुल्लों’ की वीडियो क्यों नहीं बनाते हैं?

इस मामले में अगर समय पर दिल्ली पुलिस वहां तत्परता नहीं दिखाती तो सुशील और उनके साथी की जान को खतरा था। यह हालात तब बने हुए हैं जबकि 4 इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है और दंगाइयों को देखते ही जान से मारने का खतरा है।

आज ही दिन में भजनपुरा इलाके में एक मुस्लिम युवक की भीड़ द्वारा घेरकर पीटे जाने पर एक प्रत्यक्षदर्शी मुकेश कहते हैं, ‘वह मुस्लिम युवा हमारे पड़ोस में ही रहता था और बमुश्किल मेहनत—मजदूरी करके अपना और परिवार का पेट पाल रहा था। हिंदुओं को मारे जाने की खबर गली-गली में फैलने के बाद लोग मुस्लिमों के खून के प्यासे हो गये हैं। अपने रोजमर्रा की जिंदगी के संबंधों को ताक पर रख लोग धर्म के नाम पर एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये हैं और राजनेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में व्यस्त हैं।

युवा कवि और स्वतंत्र पत्रकार सुशील मानव पर हुए इस जानलेवा हमले की सोशल मीडिया पर खूब निंदा हो रही है। लोग कह रहे हैं कि यह हिंसा भाजपा और आरएसएस प्रायोजित है, जिसकी आड़ में वह दिल्ली की हार का बदला ले रही है। लोगों में भय का माहौल कायम कर भाजपा ने गुजरात दंगों और 84 के जख्म हरे कर दिये हैं। साभार : मिडिया रिपोर्ट