पुलिस की मौजूदगी में निकली बारात ..

प्रदेश में आज भी आदिम युग का निशाँ देखने को मिल जाते है ! 21वि सदी में आज भी छुआ-छूत और दकियानूसी परम्पराओं के समाचार गाहेवगाहे सुनाई और देखने को मिल रहे है ! प्रदेश के छतरपुर जिले में एक पुलिस वाले ने उस परंपरा को तोड़ दिखाया जो वहां बरसों से चली आ रही थी. दरअसल, भगवा थाना क्षेत्र के कुन्डलया गांव में किसी भी दलित दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ने नहीं दिया जाता है लेकिन सिपाही दयाचंद ने इस परंपरा को तोड़ दिखाया और घोड़ी पर बैठकर अपनी दुल्हन को लेने पहुंचे. 

टीकमगढ़ की कोतवाली थाने में तैनात दयाचंद की शादी 9 फरवरी को आरती अहिरवार नाम की लड़की से कुन्डलया गांव में होनी थी. शादी की तैयारी लगभग पूरी हो गई थी. शादी के ठीक पहले जब दूल्हा बने दयाचंद ढोल नगाड़ों के साथ घोड़ी पर सवार होकर अपने घर से निकल ही रहे थे कि तभी सवर्ण समाज के लोगों ने उन्हें रोक लिया और घोड़ी से उतरने के लिए कहा. इसे लेकर दोनों पक्षों में खूब विवाद हुआ. जिसके बाद मामला पुलिस तक पहुंच गया.

दूल्हे ने खुद फोन करके इसकी सूचना पुलिस को दी. मौके पर पुलिस और प्रशासन के बड़े अधिकारी भी वहां पहुंचे और अपनी मौजूदगी में दूल्हे को घोड़ी पर बैठाकर गांव से बारात निकलवाई. यही नहीं, बारात पूरे गाजे बाजे और डीजे के साथ धूमधाम से निकाली गई
किसी ने बनाया स्वास्तिक का चित्र शादी संपन्न होने के बाद जब इस बारे में दूल्हे दयाचंद से बात की गई तो उन्होंने इस परंपरा को गलत सरासर बताया.

उन्होंने कहा, ”हमारे गांव में यह परंपरा बहुत ही गलत है. लेकिन मैंने इसका विरोध किया और आगे भी मैं यही चाहूंगा कि अब किसी भी दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ने से ना रोका जाए. चाहे वह किसी भी समाज का हो. सभी को एक समान अधिकार मिलना चाहिए.”