“शिक्षक दुश्चक्रों में फंसे इंसान को मुक्ति दिलाता है “: प्रो. सिंह

खिरसाडोह पॉलीटेक्निक कॉलेज छिंदवाड़ा में “शिक्षक की सामाजिक रूपांतरण में वैचारिक भूमिका” पर आयोजित व्याख्यान में प्रमुख वक्ता प्रो. अमर सिंह ने कहा कि शिक्षक बंधी बंधाई सीमाएं तोड़ना, दुश्चक्रों में फंसी इंसानियत के बेशकीमती वक्त को बचाना और खुद की बनाई नींव पर सपनों का महल खड़ा करने की युक्ति बताता है ..

शिक्षक पीड़ा जनित ऊर्जा, करुणा की चेतना और वक्त से आगे चलते के दर्शन से अपने छात्र को अभिभूत करता है। शिक्षक अहम, वैमनस्य और डर के कहर से बचकर बुलंदियां छूने के मार्ग का प्रस्तोता होता है। जब मानवता बुरे वक्त की आफतों के दर्द से कराह रही होती है, दुखों की गठरी ढो रही होती है और ठोकरें खाकर बिलख रही होती है, तब शिक्षक यकीन, संकल्प और इच्छाशक्ति के ब्रह्मास्त्र से बचाव करना सिखाता है और कहता है कि आफतें किसी बड़ी उपलब्धि हेतु ईश्वर का इम्तिहान होतीं हैं।

प्राचार्य डॉ. राकेश पांडे ने कहा कि शिक्षक अपनी लबालब भरी आध्यात्मिक चेतना से खुद में खुदा ढूंढने, मेहनत से किस्मत निर्माण और अवसाद दुर्बलता की औलाद होती है, कहकर तरसती मनुजता को वैचारिक तबाही से निकालने में भरसक प्रयास करता है। शिक्षक दिव्यता के आचरण, कर्मबीज से सिद्धि प्राप्त और शाश्वत मूल्यों का पोषक होता है। प्रवक्ता कुंदन सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक वक्त के जख्मों को मरहम बनाना, आदमी के अंदर के जंगल को बाहर निकालना और संवेदनाओं को गहराई में स्थापित करने का काम करता है।