“अहिल्याबाई न्याय, राजधर्म एवं जनकल्याण की लोकमाता थी”: प्रो. सिंह

छिंदवाड़ा: चांद कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की 297 वीं जयंती पर परिचर्चा का आयोजन किया। इस अवसर पर प्रो. अमर सिंह ने कहा कि अहिल्याबाई न्याय, राजधर्म और जनकल्याण की लोकमाता थी। जो मां निज सुत को सजा देने से न चुके, ऐसी देवी अहिल्याबाई ही थीं….

अहिल्याबाई ने राजधर्म को पारिवारिक पीड़ाओं के ऊपर रखा।लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर के एक हाथ में शस्त्र और दूसरे हाथ में शास्त्र थे। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि अहिल्याबाई मराठा साम्राज्य की अथाह पारिवारिक संकटों के बावजूद पवित्र धार्मिक भाव से कल्याणकारी राज्य की स्थापना की आदर्श देवी कही जाती हैं।

 

प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि उचित नेतृत्व, सबकी भलाई में अपनी भलाई, मानवता के लिए समर्पित लोकहित के कार्यों के कारण वे लोकमाता कहलाई। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि विधवाओं को पूर्ण संरक्षण, गरीबों को अन्नदान और राजनीति के सफल प्रयोगों से महेश्वर की रानी की कीर्ति राजनीति में सूरज सी प्रदीप्त होती है।

संतोष अमोडीया ने कहा कि कर्तव्य निर्वहन, न्याय प्रियता और अपनी अमित शौर्य गाथा से वसुंधरा भी महिमा मंडित होती है। उनके प्रखर बुद्धि कौशल, राजधर्म के पालन और उत्कृष्ट सांस्कृतिक वैभव की स्थापना से जग को नारी शक्ति का बोध कराया था।

कमलेश चौधरी ने कहा कि अपने बेटे के रथ के नीचे बछड़े के कुचल जाने पर बेटे को भी रथ से कुचलने की सजा देकर अहिल्याबाई ने न्यायप्रियता के जो मापदंड स्थापित किए, उससे उनकी जनता उन पर सम्मोहित हो गई थी।