संकल्प की सीढ़ी से स्वर्ग को नापा जा सकता है ..

शासकीय कॉलेज उमरानाला छिंदवाड़ा में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा विद्यार्थी जीवन में व्यक्तित्व विकास विषय पर आयोजित कार्यशाला में प्रमुख वक्ता बतौर बोलते हुए चांद कॉलेज के प्रेरक वक्ता प्रो. अमर सिंह ने कहा कि व्यक्तित्व विकास अंतर्निहित दिव्य संभावनाओं का वाह्य प्रकटीकरण है,जो किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने सपनों को पूरा करने की भूख से निर्मित होता है। न करने वाले को हजार, तो करने वाले को कोई बहाना नहीं होता है।

संकल्प के सीढ़ी से स्वर्ग को नापा जा सकता है। सही समय पर सही कर्म सही परिणाम देता है। जीत लक्ष्य पर बहाए पसीने के अनुपात में मिलती है। सफलता के शंकर को पीड़ा का सागर पीना पड़ता है।

प्राचार्य डॉ. ए. एन. के. राव ने कहा कि किए कर्म के फल से बचना असंभव ही नहीं, नामुमकिन भी है। जब सिद्धि प्राप्ति की आग सीने में लगती है, तब लक्ष्य के सिवा और कुछ नहीं दिखाई देता है।

क्रीड़ा अधिकारी प्रो.जी. एस. आर. नायडू ने कहा कि अपने उद्देश्य की प्राप्ति हेतु जितनी मजबूत योजना बनेगी, उतनी कम उलझनें कार्य निष्पादन में आएंगी। डॉ. उम्मेद विश्वकर्मा ने कहा कि सही रणनीति बनाने में असफल होने का अर्थ असफल होने की तैयारी करना होता है। प्रो. विपिन माहोरे ने कहा कि लक्ष्य प्राप्ति की रणनीति में भावी द्वंद्व समाधान के लिए पर्याप्त विकल्प रखने चाहिए।

डॉ. गौरी बेदी ने कहा कि सफलता यथार्थ से जूझती है, तात्कालिक खुशी नहीं चाहती। डॉ.सरिता कुशवाह ने कहा कि पारदर्शी नज़रिया हमें जीत के करीब ले जाता है। कार्यक्रम में श्री सुकलाल डहेरिया, दिनेश अहिरवार और कीर्ति सोरठ का उल्लेखनीय योगदान रहा।