बहू प्रतीक्षित नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा के साथ ही प्रदेश में आदर्श आचरण चुनाव सहिंता लग चुकी है ! परन्तु एक पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ने इसके निर्वाचन को लेकर अलग अलग मापदंडो को लेकर माननीय न्यायलय हाई कोर्ट की ग्वलियर बेंच में एक जनहित याचिका में दायर की ! जिसे माननीय न्यायलय ने स्वीकार कर राज्य सरकार और जिला निर्वाचन अधिकारी को नोटिस जारी कर जबाब मांगा है ! अब यह देखना दिलचस्प होगा की माननीय न्यायलय इस पर क्या निर्णय लेती है ! और इसका इन चुनावो पर कितना प्रभाव डालेगा ….
मप्र में नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा हो चुकी है निर्वाचन आयोग, सरकार और जिला प्रशासन सभी तैयारियों में लगे हैं इस बीच मप्र हाई कोर्ट की ग्वलियर बेंच में एक जनहित याचिका में दायर की गई है जिसमें नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्षों के चुनाव को चुनौती दी गई है। याचिका की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और जिला निर्वाचन अधिकारी को नोटिस जारी किया है।
डबरा नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष सत्य प्रकाशी परसेडिया ने नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्षों के अप्रत्यक्ष चुनाव को ग्वालियर हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में पूर्व अध्यक्ष ने महापौर और अध्यक्षों के चुनाव दो तरह से कराने पर आपत्ति जताई है।.
सत्य प्रकाशी परसेडिया ने याचिका में कहा कि इस बार तय हुआ है नगर निगम के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहे हैं जिसमें महापौर को जनता चुनेगी, लेकिन नगर पंचायत और नगर पालिका अध्यक्ष को पार्षद चुनेंगे। ये मौलिक अधिकारों का हनन है। उन्होंने सवाल किया कि जब महापौर को जनता चुन सकती है तो नगर पंचायत और नगर पालिका अध्यक्ष को जनता सीधे क्यों नहीं चुन सकती।
डबरा नपा पूर्व अध्यक्ष ने आशंका जताई कि जब पार्षद अध्यक्ष का चुनाव करेंगे तो धनबल और बाहुबल का उपयोग होता है। आम व्यक्ति को अध्यक्ष बनने का मौका नहीं मिलता। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जिला निर्वाचन अधिकारी और सरकार को नोटिस जारी किया है और इस प्रणाली पर जवाब मांगा है। साभार मिडिया रिपोर्ट