कोरोना के बहाने महंगाई भत्ते पर सियासत ..?

महंगाई भत्ता बढ़ाने का ये फैसला एक जुलाई से लागू होना था, लेकिन शिवराज सरकार ने इसे रोकने का फैसला किया है।मध्यप्रदेश में महंगाई भत्ते पर रोक के फैसले का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इससे पहले कमलनाथ ने  ट्वीट करके भी इस फैसले को तानाशाहीपूर्ण बताया था। हालांकि तब भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने इस फैसले को उचित ठहराते हुए कहा था कि शिवराज सरकार की प्राथमिकता कोरोना वायरस से लड़ने की है ….

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा है। ज्ञात हो कि प्रदेश में जारी कोरोना संकट के बीच राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाए जाने के पूर्ववर्ती सरकार के फैसले पर दो दिन पहले रोक लगा दी है।
कमलनाथ ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रदेश के कर्मचारियों एवं स्थाई कर्मियों को मेरी सरकार द्वारा 16 मार्च 2020 को छठवें एवं सातवें वेतनमान के प्रकाश में क्रमश: 164 फीसदी और 17 फीसदी महंगाई भत्ता स्वीकृत किया गया था। आपकी सरकार द्वारा इस कर्मचारी हितैषी फैसले को रद्द करने का निर्णय एकतरफा और दुराग्रहपूर्ण है।

पत्र में कमलनाथ ने सवाल किया कि क्या प्रदेश के छोटे कर्मचारियों को न्याय देने का निर्णय एक गलत निर्णय है ? एक चुनी हुई सरकार के फैसले को पलटकर क्या आपकी सरकार कर्मचारियों से बदला ले रही है ? मैं और मेरी पार्टी ऐसे फैसलों का सड़क से लेकर सदन तक पुरजोर विरोध करेंगे। 

पत्र में कमलनाथ ने प्रदेश सरकार से इस फैसले को वापस लेने और कोरोना महामारी के कारण उपजी विषम परिस्थितियों के बीच कर्मचारियों को राहत दिए जाने की भी मांग की है। बता दें कि कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार ने उसकी सरकार गिरने से पहले 16 मार्च को ये फैसला लिया था। जबकि इसके बाद 20 मार्च को कमलनाथ ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।