लता मंगेशकर संगीत अकादमी स्थापित होगी ..

दुनिया की बेहतरीन, सर्वश्रेष्ठ आवाज स्वर कोकिला लता मंगेशकर का देवलोक गमन संगीत के सुरों की पूरी दुनिया को वीरान कर गया ,यह खालीपन संगीत के दीवानों को हमेशा खलेगा ! लता दीदी की बहुत सी यादें मध्य प्रदेश से भी जुड़ी हुई है ! संगीत के रसिकों की भावनाओं का सम्मान करते हुए  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज स्मार्ट सिटी पार्क में स्वर कोकिला लता मंगेशकर की स्मृति में वृट का पौधा लगाया।

मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय लता मंगेशकर के चित्र पर माल्यापर्ण और पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। साथ ही चौहान ने घोषणा कि इंदौर में लता मंगेशकर के नाम से संगीत अकादमी, संगीत महाविद्यालय, संगीत संग्रालय की स्थापना की जाएगी। साथ ही उनकी इंदौर में प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। जो सभी को प्रेरणा देगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लता दीदी के जाने से हर घर को लग रहा है कि उनका कोई अपना चला गया। उनकी क्षति की पूर्ति नहीं हो सकती है। लता जी के बिना न संगीत जाना जाएगा और ना ही यह देश जाा जाएगा। लेकिन यह सच है कि वह हमारे बीच अपने गीत और संगीत के माध्यम से बनी रहेगी।

 

इस मौके पर भोपाल से संगीत एवं गायन के क्षेत्र से जुड़े पंडित सज्जन लाल ब्रह्मभट्ट, उमकांत गुंदेचा, कीर्ति सूद, आकृति मेहरा, धानी गुंदेचा, दिलीप महाशब्दे, साजिद खां, सलीम अल्लाहवाले मौजूद थे।

ज्ञातव्य हो कि स्वर्गीय लता मंगेशकर का 28 सितंबर 1929 को इंदौर के सिख मोहल्ले में  जन्म हुआ था। उनके प्रशंसकों ने जिस गली में लता मंगेशकर का जन्म हुआ तो उसका नाम लता मंगेशकर के नाम पर करने की मांग कर रहे है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि करोड़ों करोड़ भारतवासियों में से हर एक को यही लग रहा है कि, मेरी व्यक्तिगत क्षति है।

यह अपने आप में एक अनोखी घटना है कि, हर घर को यह लग रहा है कि मेरा बहुत कुछ चला गया।

क्योंकि, उनके गीत लोगों में नवउत्साह, नवऊर्जा। का संचार करते थे।

मैं स्वयं अपना बता रहा हूं कल से ऐसी रिक्तता आई है जिसकी भरपाई संभव ही नहीं है व्यस्तता के कारण समय कम मिलता था लेकिन, जब भी मैं कहीं गाड़ी से जाता था तो मेरी एक ही हॉबी होती थी कि लता जी की सीडी वगैरा मिल जाए।

भारत के रोम रोम में जैसे रम गया हो उनका जाना ऐसी क्षती है जिसकी कभी पूर्ति नहीं हो सकती।

लता जी के बिना ना संगीत जाना जाएगा ना ही यह देश जाना जाएगा।

लेकिन, यह सच है कि वह हमारे बीच गीतों के माध्यम से संगीत के माध्यम से सदैव बनी रहेंगी।

संगीत महाविद्यालय जहां बच्चे सुरों की साधना करेंगे और एक ऐसा संग्रहालय जिसमें लता जी ने जो भी जब कुछ गाया है वह उपलब्ध रहेगा।

वो संगीत शास्त्रों से चर्चा करके उसका क्या स्वरूप बने उसका निर्माण भी किया जाएगा, इंदौर में ही उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी जो सबको प्रेरणा देगी।

लता जी केवल संगीत के जगत की रोशनी नहीं थी वह देश भक्ति का भी एक ऐसा हस्ताक्षर थी जिससे पूरा देश यहां तक की बड़े-बड़े राजनेता भी प्रेरणा लेते थे।

उनकी प्रतिमा भी हम वहां स्थापित करेंगे, उनके जन्मदिन पर ही हर साल लता मंगेशकर पुरस्कार दिया जाएगा दीदी हम तुम्हें ना भुला पाएंगे उनके चरणों में फिर विनम्र श्रद्धांजलि

साभार मिडिया रिपोर्ट