योजनाओं के नाम बदलकर जनता को धोखा देना चाहते हैं शिवराज : जीतू पटवारी

पुलिस विभाग के अन्तर्गत 6000 रिक्त पदों की आरक्षक भर्ती परीक्षा में घोटाले ,  जो अभ्यर्थी सुबह चयनित हो जाता है शाम को
उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाता है ! पूरे मामले की जांच गैर व्यापम अधिकारियों से करायी जाये ….
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी वैचारिक रूप से वृद्ध हो चुके हैं। उनके पास ना कोई नया आईडिया है, ना कोई नया समाधान है, ना कोई नया सुझाव है। वे सिर्फ पुरानी योजनाओं के नाम बदलकर अपने पुराने झूठ नए सिरे से दोहरा रहे हैं। पूर्व मंत्री और कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने आज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए यह बात कही..

पटवारी ने कहा कि हम कौन से मध्यप्रदेश में रह रहे हैं? उन्होंने पूछा कि किसानों की आय दोगुनी करने वाला मध्य प्रदेश कहां है? स्वर्णिम मध्यप्रदेश कहां है? आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश कहां है? रोजगार देने वाला मध्य प्रदेश कहां है? महिलाओं का सशक्तिकरण करने वाला मध्य प्रदेश कहां है?
प्रदेश में हाल ही में नियुक्तियों में हुई धांधली का मुद्दा उठाते हुए पटवारी ने कहा कि प्रदेश में शिवराज सरकार एक बार फिर से व्यापम- 2 घोटाला कर रही है। व्यापम द्वारा पुलिस विभाग में 6000 आरक्षक पद की भर्ती हेतु 08 जनवरी 2022 से 17 फरवरी 2022 तक 74 शिफ्टों में परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसका परिणाम 24 मार्च 2022 को घोषित किया गया। उक्त परीक्षा हेतू 12,72,305 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया लेकिन परीक्षा में मात्र 7,98,001 अभ्यर्थी ही शामिल हुये तथा 4,74,304 अनुपस्थित रहे। अगली परीक्षा (फिजीकल) हेतू 30000 अभ्यर्थियों को क्वालीफाई किया गया।

पटवारी ने कहा कि उक्त परीक्षा में तथा उसके परिणाम में नियमों की जमकर अनदेखी हुई। व्यापम द्वारा इस परीक्षा में रोल नंबर आबंटन में व्यापम के पूर्व घोटाले की तरह स्कोरर का लाभ दिया गया. अभ्यर्थियों ने अपने नजदीक के परीक्षा केन्द्र के स्थान पर दूर के सुविधाजनक परीक्षा केन्द्र का चयन किया तथा मात्र 12 लाख अभ्यर्थीयों की परीक्षा हेतू 74 शिफ्ट में 41 दिन की ऐतिहासिक अवधि तक परीक्षाएं आयोजित करने का योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया।
एक पाली में पूरे प्रदेश के परीक्षा केन्द्रों पर मिलाकर मात्र 10784 अभ्यर्थी शामिल हुये। याने एक परीक्षा केन्द्र पर बमुश्किल 100 अभ्यर्थी भी नहीं थे। ऐसे में 74 शिफ्टों में 41 दिन तक परीक्षा का आयोजन कई शंकाओं को जन्म देता हैं। जो व्यापम के पुराने आचरण को देखते हुये स्वाभाविक है।

पटवारी ने कहा कि उक्त परीक्षा में पारदर्शिता का पूर्णतः अभाव हैं, जो काफी आपत्तिजनक हैं। यह बताया ही नहीं गया कि परिणाम कितनी अवधि में घोषित होगा और ऑनलाईन परीक्षा में आश्चर्यजनक रूप से 35 दिन बाद 24 मार्च 2022 को परिणाम घोषित किया गया। याने पहली परीक्षा पाली से 76 दिन बाद परिणाम घोषित हुआ। वर्तमान दर से तीन गुना कीमत कम्प्यूटर परीक्षा आयोजक को दी गई तथा एमपीकान को अनावश्यक रूप से करोड़ो का भुगतान किया गया। जबकि व्यापम के पास 31 जनवरी 2022 की स्थिति में 403.44 करोड रू. बैंक में फिक्स्ड डिपाजिट हैं, ऐसे में 800 रू. परीक्षा शुल्क व्यापम के चरित्र को उजागर करता है।
पटवारी ने कहा कि परीक्षा परिणाम जो 24 मार्च 2022 को घोषित किया गया, वह तो फर्जीवाडा की पराकाष्ठा है और व्यापम के पूर्व महाघोटाले को भी मात कर रहा हैं।नार्मलाइजेशन के नाम पर सफल प्रतिभागियों की लिस्ट मनमाने तरीके से निकाली गयी (1) अभ्यर्थी के प्राप्तांक (2) टाप अभ्यर्थी के अंक, अभ्यर्थी के औसत अंक (3) औसत एवम् मानक विचलन कैसे निकाले गये इसका उल्लेख कहीं भी नहीं किया गया।

पटवारी ने कहा परिणाम का एक हैरान करने वाला पहलू यह भी हैं कि उक्त भर्ती परीक्षा में भूतपूर्व सैनिक हेतू 600 पद आरक्षित किये गये थे इस मान से परिणाम में 3000 भू.सै. को क्वालिफाय करना था, लेकिन एक भी भूतपूर्व सैनिक को क्वालिफाय नही किया गया। जबकि परीक्षा में 8 से 10 हजार भूतपूर्व सैनिक शामिल हुये थे।
एक अभ्यर्थी के परीक्षा के बाद सही अंक 78 दिखाये गये वह नार्मलाइजेशन के बाद अचयनित हो गया तथा वहीं दूसरी पाली में 64 अंक लाने वाला नार्मलाइजेशन के बाद चयनित हो गया, ऐसे हजारों चमत्कार मात्र 30000 की सूची में किये गये हैं। गणित में तो यह संभव ही नहीं हैं और इस असंभव को संभव करने की कला का भरपूर उपयोग व्यापम ने पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा में किया और एक चमत्कारिक परिणाम घोषित किया। 85 अंक वाला फेल, 65 अंक वाला पास।

क्या मुख्यमंत्री इन सवालों का जवाब देंगे:-
(1) किस किस पाली में किस किस केन्द्र से कितने कितने अभ्यर्थी चयनित हुये।
(2) नार्मलाइजेशन सूत्र के वास्तविक मान किस प्रकार निकाले गये तथा वे क्या हैं।
(3) प्रत्येक शिफ्ट में 10 टॉप अभ्यर्थीयों के अंक कितने हैं।
(4) प्रत्येक अभ्यर्थी के अंक में नार्मलाइजशेन सूत्र का उपयोग कैसे किया गया और प्रत्येक अंक में क्या परिवर्तन हुये।
एमपीटीईटी कैंडिडेट का बड़ा आरोपः- मार्क्स बढ़ाने के लिए फोन करके मांगे 5 लाख, कॉलर ने कहा- रिजल्ट के बाद 5 लाख और लगेंगे।
पटवारी ने कहा कि व्यापमं (नया नाम प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड) एमपीटीईटी की परीक्षा को लेकर फिर सुर्खियों में है। शिक्षक पात्रता परीक्षा के पेपर लीक मामला सामने आने के बाद व्यापम पर बड़े घोटाले के आरोप लग रहे हैं। इसे व्यापमं घोटाला-3 बताया जा रहा है।
इस बीच भोपाल के कैंडिडेट सौरभ विश्वकर्मा ने बड़ा दावा किया है। उसका आरोप है कि मार्क्स बढ़ाने के लिए उससे 5 लाख रुपए मांगे जा रहे हैं। उसके पास अनजान नंबरों से कॉल आ रहे हैं।

सौरभ की तरह ही कुछ और उम्मीदवारों ने इसी तरह के अनजान नंबरों से कॉल आने की शिकायत की है। इसे लेकर उम्मीदवारों ने व्यापम में आरटीआई भी लगाई है। सोमवार को प्रदेशभर से आए उम्मीदवारों ने व्यापम ऑफिस के सामने प्रदर्शन किया था। इसके बाद वे मुख्यमंत्री निवास पर भी गए। वहां उन्होंने ज्ञापन सौंपकर मामले की जांच कराने की मांग की है।
श्री पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री तत्काल परीक्षा परिणाम की जांच के आदेश देवें। इसके लिए गैर व्यापम के अधिकारियों और न्यायिक अधिकारियों की समिति बनाई जाय और रेल्वे की भर्ती परीक्षा की तरह अभ्यर्थी से आपत्ति ली जाय और जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाय।