गोटमार मेले में अंतहीन पत्थरों की बारिश में 300 से अधिक लोग घायल..

गोटमार मेले में अंतहीन पत्थरों की बारिश से  300 से अधिक लोग घायल ,20 से अधिक गंभीर रूप से घायल , 3 की हालत नाजुक ..

विश्व प्रसिद्ध मेले को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त करने हेतु पुलिस प्रशासन के तमाम क्षत्रप अपनी जान जोखिम में ना डालते हुए दूर खड़े होकर तमाशाबीन बने हुए थे ! वही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किए गए तमाम दावे खोखले साबित होते प्रतीत हुए ! शराब के नशे में मदहोश खिलाड़ी व नागरिक छाती ठोक-ठोक कर प्रशासन के इस दावे को झुठला रहे थे ! वही मूकदर्शक बने प्रशासनिक अधिकारी इस तमाशे का नजारा देखकर अपनी उपस्थिति को असहाय बताते हुए अक्षम से प्रतीत हो रहे थे  ….राकेश प्रजापति 

छिंदवाड़ा जिले का विकासखंड पांढुर्णा जिसका भौगोलिक क्षेत्रफल 82.924 हेक्टेयर है ! जिसकी मुख्य नदी जाम तथा भुजकुंड से निकला हुआ सापना नाला जो इसकी जलनिधि बढ़ने में सहायक है ! वही कन्हान नदी ब्रह्मपुत्र की आरक्षित वनों से होते हुई ईशान कोण से निकल जाती है ! 172 ग्रामों को अपने गर्भ में समाहित किए हुए 2 अक्टूबर गांधी जयंती दिवस सन 1953 को इस विकास खंड का सूत्रपात हुआ ! जिले के प्रथम विकासखंड का सम्मान प्राप्त कर जहां प्रशासनिक दृष्टि से तहसील सौसर 21 से 49 अंश उत्तरी अक्षांश तथा 78 से 10 एवं 79 से 16 पूर्व देशांश में स्थित सन 1984-85 मैं अलग होकर एक स्वतंत्र तहसील का दर्जा प्राप्त किया है ! वहीं दूसरी ओर इसकी सीमाएं महाराष्ट्र ,मुलताई तहसील ,विकास खंड मोहखेड़ तथा विकास खंड सौसर से आबद्ध है ! दो राजस्व मंडल पांढुर्णा तथा नान्दवाडी मैं विभक्त 35 पटवारी हल्के तथा 67 ग्राम पंचायतों को समाहित किए हुए हैं !

विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला इसी विकासखंड के पांढुर्णा नगर में लगता है ! जिसके चलते विकासखंड के साथ संपूर्ण जिला ना केवल भारत बल्कि विश्व में अपना नाम दर्ज करा चुका है ! इस ऐतिहासिक रोचक एवं रोमांचकारी गोटमार मेले की विशेषता यह है कि भारतीय किसान पर्व पोला के दूसरे दिन सावरगांव वह पांढुर्ना दो क्षेत्रों को विभक्त करने वाली नदी के बीच में एक पलाश का वृक्ष बढ़ाया जाता है ,जिसमें एक झंडा लगा होता है ! इस पलाश के वृक्ष को काटकर लाने हेतु दोनों क्षेत्रों के नागरिकों द्वारा बीच नदी के पत्थर से प्रतिस्पर्धीयों को मारा जाता है ! पत्थरों की अंतहीन बाजारों से ऐसा दृश्य उपस्थित होता है कि मानो पत्थरों की बारिश शुरु हो गई है ! वास्तविकता यह है कि इस कार्य हेतु दो दिवस पूर्व ही आसपास के क्षेत्रों के नागरिक पत्थरों को इकट्ठा करके रखते हैं , तथा इस खतरनाक रोमांचकारी खेल में हिस्सा लेने वाले वालों पर इन पत्थरों की बौछार की जाती है ,यह सिलसिला तब तक चलता है , जब तक कि कोई प्रतिनिधि इस चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम देने में सफल न हो जाय ! इस हेतु उसे ना जाने कितनी गंभीर चोटों सहन करनी पड़ती है ! वही दर्शक दीर्घा में खड़े नागरिक उनका उत्साह बढ़ाने में सहायक होते हैं , साथ ही इन्हीं पत्थरों की मार भी पत्रों की टहनी सहन करनी पड़ती है ! पलाश के वृक्ष को काटने के साथ ही पत्थरों की बौछारें समाप्त कर दी जाती है ,तथा इस खेल के खिलाड़ी नगाड़ों की प्रतिध्वनि में लहूलुहान हुए नाचते गाते अपनी इष्टदेवी मां चंडी के मंदिर में झंडे को साथ लेकर प्रवेश कर नमन करते हुए व लहूलुहान हुए शरीर पर हवन कुंड की भस्म को मिलते हैं ! इस संबंध में तमाम बुजुर्गों का एकमत है कि इस भस्म को मिलने पर लहू निकलना बंद हो जाता है!

इस मेले की विशेषता यह है कि प्रतिवर्ष पलाश के वृक्ष को काटने तथा झंडे को सही सलामत लाने का फर्ज केवल पांढुर्णा निवासियों का ही होता है इस वर्ष इस मेले में अन्य वर्षो की अपेक्षा ज्यादा उत्साह देखा गया प्रतिस्पर्धा इतनी चुनौतीपूर्ण थी कि नदी के बीच लगे गड़े पलाश के वृक्ष को काटने में अनेकों खिलाड़ी घायल हुए परंतु फिर भी सफलता पांढुर्णा क्षेत्र के निवासियों के हत्थे लगी !

आपसी समन्वय व सौहार्दपूर्ण वातावरण के कारण ही मेला संपन्न हुआ! प्रशासन द्वारा की गई तमाम व्यवस्थाएं असफल रही ! इस मेले में पुलिस प्रशासन के तमाम क्षत्रप अपनी रक्षा के लिए इस कुरुक्षेत्र से दूर ही खड़े रहे ! खिलाड़ी हाथठेलों में पत्थर भर-भर कर दूसरे खिलाड़ियों को दे रहे थे ! वही शराब के नशे में मदहोश नागरिक इस खेल में उत्साह से हिस्सा ले रहे थे! वही अत्यधिक संख्या में घायल नागरिक अपने उपचार हेतु जगह-जगह खुले उपचार केन्द्रों में अपना उपचार करा रहे थे ! लगभग 300 से अधिक नागरिक इस खतरनाक खेल में घायल होकर अपनी व्यथा का वर्णन कर रहे थे !

जिला प्रशासन का दावा है कि हमारे द्वारा शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है परंतु देखने पर यह पाया गया कि लगभग प्रत्येक व्यक्ति शराब के नशे में है ! घायलों में हड्डी टूटने ,आंख के क्षतिग्रस्त ,दांत टूटने , नाक टूटने पर कुछ व्यक्तियों को पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के नागपुर चिकित्सालय में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया है ! कुल मिलाकर पुरानी किंवदंतियों एवं धार्मिक आस्था व आपसी सद्भाव के चलते इस विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले का समापन हुआ !

200 से अधिक स्वास्थ्य कर्मी और 800 से अधिक पुलिस बल रहा तैनात : गोटमार मेले के दौरान दो प्रमुख मेडिकल कैंपों सहित खिलाड़ियों के उपचार के लिए बनाए गए अलग-अलग के 9 अधिकारियों और 130 स्वास्थ्य कर्मा कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई , साथ ही गंभीर रूप से घायल होने वाले खिलाड़ियों को तत्काल उपचार के लिए पहुंचाने के लिए 12 एंबुलेंस तैनात की गई थी ! इसके अलावा कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ,एसपी विवेक अग्रवाल और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने मेले की गतिविधियों पर नजर बनाए रखें ! मेले के अलावा शहर के चप्पे-चप्पे पुलिस बल तैनात रहा ! जिसमें 3 एएसपी, 11 डीएसपी और 16 टीआई सहित 700 से अधिक बल शामिल था ! मेले के दौरान गोफन चलाने वालों और अनैतिक गतिविधियों पर ड्रोन कैमरे से भी नजर रखी जा रही थी ! नदी में अधिक पानी होने के चलते गोताखोर व अन्य 1 नाव भी मौजूद रहे ! शहर के चारों ओर 18 स्थानों पर नाकेबंदी की गई थी,बावजूद इसके बड़ी संख्या में खिलाड़ी पड़ोसी जिलों के अलावा , पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में इस मेले में शिरकत करने लोग लोगों का तांता दिनभर चलता रहा !

मां चंडी के मंदिर में जारी रहा दर्शन का सिलसिला :- गोटमार मेले की आराध्य देवी मां चंडी के दरबार में श्रद्धालुओं के  दर्शनों का सिलसिला जारी रहा , जहां श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ मंदिर समिति ने विशेष व्यवस्था भी की थी ! श्रद्धालुओं ने मां चंडी के दरबार में जाकर मत्था टेक कर सभी की खुशहाली की कामना की ! प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा दुसरे जिलों से आए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने परंपरागत रूप से श्रद्धा के साथ मां चंडी के दर्शन कर प्रसाद आदि अर्पण किया !

क्षेत्रीय विधायक ने भी चलाए पत्थर :- गोटमार मेले के आयोजन के दौरान दोपहर बाद क्षेत्रीय विधायक नीलेश उइके  ने भी आयोजन में भाग लिया ! उन्होंने मां चंडिका के मंदिर में जाकर दर्शन पूजा अर्चना की ,यही नहीं दोपहर में सावरगांव की बड़ी पुलिया के समीप पहुंचकर उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से पत्थर फेंके ! उनके इस रूप को देखकर आसपास के युवाओं में और उत्साह बढ़ गया, खिलाड़ियों ने अपने बीच विधायक को देखकर जमकर गोटमारी की