होनहार बिरवान के होत चीकने पात ..

वह लड़का जैसा सुन्दर है, वैसा ही सुशील और बैसा ही बुद्धिमान , आज ही तो उसने 31 वे साल में कदम रखा है और भ्रष्ट होती राजनीति में सुचिता ,सादगी और जनकल्याण की भावनाओं से आज के नेताओं को रूबरू करा दिया है ! उनके चेहरों से जन सेवक, जन हितैषी होने का दिखावटी नकाब तार -तार कर दिगम्वर कर दिया है ! हम बात कर रहे है शहर के प्रथम नागरिक विक्रम आहके की …आज इस नौजवान ने वह कर दिखाया जो मौजूदा राजनेताओं में देखने को नही मिलता और ना ही इसकी कल्पना कोई कर सकता था ? उनके इस कर्म से ऐसा स्पष्ट मालूम होता है कि आने बाले समय में वह सफल राजनैतिग्य होगा …. कहावत भी है ‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात’

नगर पालिका निगम चुनाव में जनता ने ३० साल के युवा पर अपना प्यार और विश्वास जमकर लुटाया ! आंगनवाड़ी में काम करने वाली मां और किसान पिता के बेटे विक्रम आहाके नगर पालिका निगम छिंदवाडा के महापौर पद पर आसीन हुए ! इस तरह नगरीय चुनाव में कांग्रेस की 18 सालों बाद वापसी हुई !यह कोई असामान्य घटना नही है ! परन्तु विक्रम ने आज जो कर दिखाया यह मौजूदा राजनीति के लिए नजीर बन जाएगा !

आज विक्रम आहके का जन्म दिन है ! उन्होंने अपना जन्म दिन बड़ी ही सादगी के साथ मनाया है और इस बात का संकल्प लिया की वे नगर की जनता की सच्चे मन से सेवा करेंगे,  जैसा उनके ऊपर जनता ने विश्वास जताया है ! जनता की सेवा में, जनता का पैसा, जनता के कल्याण के लिए ही खर्च होनी चाहिए ,ना की जनता के पैसों से अपने जन्म दिन की बड़ी बड़ी होल्डिंग्स , अखबारों में विज्ञापन और बेवजह का तामझाम में जनता के पैसों की फिजूल खर्ची ! क्योंकि पैसों की कीमत एक मेहनतकश मजदूर और किसान से अधिक कौन जान सकता है ? वैसे भी नगर पालिका निगम को आर्थिक रूप से अर्धनग्न कर चुकी है पिछली परिषद !

विक्रम के अभिन्न साथी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया की विक्रम भाई ने आपने सभी साथियों ,नगर पालिका निगम के कर्मचारियों ,अधिकारीयों व उनके चाहने वालों और नगर की जनता से चुन कर आये कांग्रेस पार्टी के 28 पार्षदों को साफ़ साफ़ शब्दों में चेता दिया था की बेवजह की फिजूलखर्ची ,दिखावा और चापलूस गिरी से दूर रहे !

मौजूदा समय की राजनीति में इस तरह की सोच देखने-सुनने में बड़ी अजीब और पागलपन जैसी प्रतीत होती है ? क्योंकि राजनीती में नेता अपने को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित प्रसारित करने के लिए तरह तरह के हथकंडों का सहारा लेते है और ले रहे है ! चाहते तो उनके साथी , नगरपालिका निगम या फिर उनके शुभचिंतक उन्हें बधाई देने और अपना नाम महापौर के साथ प्रचारित प्रसारित करने के लिए होड़ लगा देते , शहर होल्डिंग्स से पट जाता ,समाचार पत्रों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के बुध्धू बक्से दिन भर अतिश्योतियों से गीत गाते सुनाई पड़ते ..तो क्या ऐसे में कोई बड़ा नेता बनता है या अपने कर्म और ऊँची सोच से ….अब आप ही सोचिये ?  इस यक्क्ष प्रश्न के साथ हम आपसे बिदा लेते है …. राकेश प्रजापति