बाघ के लापता शिकारियों के शिकार हुए डिप्टी रेंजर और नाकेदार ..

पेंच नेशनल पार्क के छिंदवाडा जिले में बाघ के शिकार मामले में कार्रवाई हुई है। वन मंडल के प्रभारी डीएफओ ने डिप्टी रेंजर और नाकेदार को निलंबित कर दिया है । बीते एक साल से आधिक समय से जिले के तीनों ही वन मंडलों में लापरवाह नशेडी और गर्म गोस्त के शौकीन अइयाश किस्म के वन मंडलाधिकारियों के हाथों में जिले का वन महकमा खून के आंसू रो रहा है !  वन महकमे में काम करने वाले कनिष्ठ अधिकारी ,कर्मचारीयों के पास कोई कम नही है वे आपना टाइम पास करते हुए चाय पान और आफिसों के समीप की होटलों में आसानी से देखे जा सकते है ? जंगलों में वन माफिया , और शिकारियों ने अपना आधिपत्य जमा लिया है और जिले के पूरा वन क्षेत्र अपराधियों के कब्जे में चल रहा है , विभागीय गतिविधियाँ शून्य हो गई है ….

पेंच नेशनल पार्क से लगे सांख बीट के हिर्री सर्किल में पिछले दिनों 1 अक्टूवर वन्य प्राणी सप्ताह की शुरुवात के दिन ही जिले में बाघ का शव मिलने से पूरा वन महकमा सन्ना रहा गया ! क्योंकि करंट लगाकर तीन लोगों ने बाघ का शिकार किया था । इस मामले में पूर्व वन मंडल के प्रभारी डीएफओ ने डिप्टी रेंजर और एक नाकेदार को निलंबित किया है ।

दरअसल तीन शातिर आरोपियों ने बाघ को करंट लगाकर शिकार किया गया था । इस मामले में लगातार की गई विभागीय जांच में सांख सर्किल के डिप्टी रेंजर और नाकेदार की लापरवाही सामने आई । उसके बाद कल शुक्रवार को डीएफओ ने दोनों को निलंबित कर दिया। साथ ही उड़न दस्ते द्वारा की गई जांच में भी जंगल में दर्जनों ठूंठ पाएं गए तो वहीं कई तरह की अनियमित्ता भी पाई गईं ।

पूर्व वनमंडल के अंतर्गत चौरई रेंज के सांख सर्किल में लंबे समय से डिप्टी रेंजर तुलसीराम सनोडिया और नाकेदार धीरेन्द्र साहू द्वारा अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरती जा रही थी ।

लापरवाही के चलते ही हिरीं निवासी सीताराम बेलवंशी सहित उसके दो भाई असाडू और शोभेलाल बेलवंशी द्वारा करंट फैलाकर बाघ का शिकार किया गया था । शिकार किए जाने के बाद भी दो दिनों तक खेत में बाघ का शव पड़ा रहा । उसके बाद शिकारियों ने बाघ के पंजे काट कर उसके शव को पेंच नदी में बहा दिया !

रेंज के लापरवाह डिप्टी रेंजर तुलसीराम को इस बात की भनक तक नही लगी और न ही नाकेदार धीरेन्द्र को गश्त के दौरान कोई साक्ष्य मिले । बाघ की मौत के बाद भोपाल से आई एसटीएफ, जबलपुर और छिंदवाड़ा का वृत्त स्तरीय उड़न दस्ता सहित डीएफओ द्वारा बनाई गई टीम द्वारा मामले की जांच की गई, जिसमें डिप्टी रेंजर तुलसीराम सनोडिया और नाकेदार धीरेन्द्र साहू की लापरवाही पाए जाने पर उन्हें शुक्रवार को पूर्व वनमंडल के प्रभारी डीएफओ अक्षय राठौर द्वारा निलंबित कर दिया गया ।

नाम न बताने की शर्त पर कई कर्मचारियों ने बताया की हमारे वन मंडलाधिकारी मोबाईल ,लेपटाप पर दिन में ही राते रंगीन करने बाले चल चित्र देख देख कर अपने कमरे का तापमान गर्म करते हुए कई बार पकडे गए है और इसलिए अब वे किसी को भी अपने कमरे में आने नही देते है ! साहब के बुलाने पर ही कमरे में कोई प्रवेश कर सकता है नही तो कितना भी जरुरी काम हो कोई अन्दर नही जा सकता है ! सप्ताह के पञ्च दिन ये महोदय आफिस की कुर्सियां तोड़ते है और छुट्टी के दिन मन बहलाने के लिए फिल्ड का दौरा दिखाबे के लिए करते है ! फुकट की तनखाह ले रहे इन निक्क्मो को डिपार्टमेंट की तनिक भी चिंता नही है ! उसी तारतम्य में फिल्ड के कर्मचारी भी अलाल हो गए है और जंगल में मंगल कर रातें रंगीन करने में ही समय गुजर रहा है ! इसी का नतीजा है की जंगलों में वन माफिया , और शिकारियों ने अपना अधिपत्य जमा लिया है और जिले का पूरा वन क्षेत्र पर अपराधियों के कब्जे में चल रहा है , विभागीय गतिविधियाँ शून्य हो गई है !

सूत्र बताते है की जिले के जागरूक पत्रकारों से भी ये अधिकारी मिलना पसंद नही करते है और उन्हें ब्लैक मेलर बता कर बाहर से की लौटा दिया जाता है , इसलिए इन पर्यावरणीय जल्लादों से पत्रकारों ने भी दूरियां बना ली है …..