जीवन लक्ष्य अवसर निर्माण में है, इंतजार में नहीं : प्रो. सिंह 

हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन  खेल दिवस पर शासकीय महाविद्यालय चांद में आयोजित शतरंज एवं मनोरंजक सूक्ष्म खेल स्पर्धा में प्राचार्य प्रो. डी. के. गुप्ता ने कहा कि शतरंज के खेल में जीवन का दर्शन छिपा हुआ है। अपने दुश्मन को हमारी चालों का पता नहीं लगने देना चाहिए प्रेरक वक्ता  प्रो. सिंह ने कहा कि जीवन शतरंज के खेल की तरह है जिसमें अवसरों का निर्माण किया जाता है, इंतजार नहीं। शतरंज लक्ष्य पर सौ प्रतिशत फोकस सिखाती है।असफलता सबसे बड़ा शिक्षक होती है। निर्णय लेने की तार्किक कला सीखना, जीतने की पूर्वधारणा बनाना और आज के फैसलों के कल परिणाम अवश्य मिलेंगे..
क्रीड़ाधिकारी प्रो.जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि लक्ष्य प्राप्ति हेतु रणनीति बनाना, विस्तृत परिप्रेक्ष्य को समझ निष्कर्ष निकालना और सफलता के लिए जोखिम उठाना हम शतरंज के खेल से सीख सकते हैं। जीवन का खेल जीतने के लिए भावनाओं में बहकर निर्णय न लेना हम शतरंज के खेल से सीख सकते हैं।
प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि शतरंज जीवन की चुनौतियों को सहजता से स्वीकार करने का पाठ सिखाता है। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि शतरंज मनोवैज्ञानिक समझ को विकसित करने की पैनी नज़र पैदा करती है। प्रो. विनोद कुमार शेंडे ने कहा कि शतरंज भविष्य में आने वाली आफतों के समाधान वर्तमान में गहनता से विचार करने पर जोर देता है।
प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि शतरंज के खेल में संपूर्ण मानव जीवन के द्वंद्व के दर्शन होते हैं। प्रो. रक्षा विश्वकर्मा ने कहा कि जीवन में कर्म की चाल चलनी पड़ती है, तभी अच्छे मुकद्दर का निर्माण होता है। संतोष अमोडिया ने कहा कि शतरंज का खेल जीवन में सतत चलते रहने का नाम है। स्पर्धा में मोहिनी, रिया, खुशबू, शालिनी,दुर्गा, सोनम, रितिका और शिखा ने प्रतिभागिता दी।