कृत्रिम बुद्धिमत्ता के चमत्कारी लाभ व खतरे विषय पर संगोष्ठी ..

शासकीय महाविद्यालय चांद छिंदवाडा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के चमत्कारी लाभ और खतरे विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि भविष्य में विकसित राष्ट्र का सपना कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग की गुणवत्ता पर निर्भर करेगा। श्रेष्ठ कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव बुद्धि से भी बढ़कर साबित होगी। यह अन्वेषण और आविष्कार के लिए वरदान साबित हो सकती है….

नवीन सूचनाओं के माध्यम से सृजन के क्षेत्र में लाभदायक है लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता निर्मित गलत सूचना राष्ट्र में अस्थिरता का संकट पैदा कर सकती है और इसकी चमत्कारी ताकत चुनिंदा लोगों तक सीमित होकर असमानता की गहरी खाई खोद सकती है।

प्रो.रजनी कवरेती ने कहा कि मशीनों में इंसानों की तरह सोचने समझने की क्षमता विकसित करना कृत्रिम बुद्धिमत्ता है। यह बनावटी तरीके से बनाई गई बौद्घिक क्षमता होती है। इसमें रोबोटिक सिस्टम को तर्कों के आधार पर चलाने की क्षमता होती है जिसमें मशीनें खुद अपना निर्णय लेती हैं। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि यह मानव को आलसी, गैररचनात्मक, बेरोजगार, कल्पनाहीन, अवास्तविक और कूटरचित सूचनाओं से तबाही मचा देने वाली भी साबित हो सकती है।

प्रो.आर. के. पहाड़े ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता समय की बचत, मानव त्रुटियों में कमी और त्वरित निर्णय लेने में सक्षम होगी। प्रो.विनोद शेंडे ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता जटिल समस्या समाधान, श्रम की बचत, उत्पादन वृद्धि और हर समय प्रयोग में लाने योग्य दक्षता है। प्रो . सुरेखा तेलकर ने कहा कि बनावटी बुद्धिमत्ता मानव को डिजीटल मदद, निश्वार्थ सेवा, निष्पक्ष चुनाव और आपदा प्रबंधन करने वाली होगी।

प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता आपदा प्रबंधन करने में खासी मददगार है। संतोष अमोडिया ने कहा कि बनावटी बुद्धिमत्ता सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी।