9 करोड़ के अस्पताल में एक भी मरीज भर्ती नहीं हो सका अब बंद ….

प्रदेश में कोरोना काल के समय जनता के पैसों की जमकर बन्दरबाँट हुई ,धन कमाने के चक्कर और कोविड के डर के पीछे की कहानी अगर खोजी जाय तो बहुत से नौकरशाह सलाखों के पीछे मिलेंगे और उनके परिजन कोर्ट-कचहरी में ? किसी दीर्घकालिक योजना के बिना नौकरशाहों ने निर्णय लिए जो परिणामो के मामले में सिफार ही निकले ,इसका जीता जागता उदाहरण हमे सागर जिले में देखने को मिलता है ! दरअसल मध्य प्रदेश के सागर जिले में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 केयर सेंटर बनाया गया था। 200 बिस्तरों के इस अस्थायी अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था भी की गई थी। जरूरत पड़ने पर 1,000 बिस्तरों की व्यवस्था करने की तैयारी भी थी। एक भी मरीज इसमें भर्ती नहीं हो सका। अब राज्य शासन के आदेश के बाद इसे बंद कर दिया गया है।  

मामला बीना तहसील के आगासोद के ग्राम चक्क में भारत ओमान रिफायनरी के अस्थायी अस्पताल का है। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन संकट और बढ़ते मरीजों को देखते हुए इसे तैयार किया गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इस अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे थे।

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सहायक कंपनी भारत ओमान रिफायनरी लिमिटेड ने इस 200 बिस्तरों वाले अस्पताल को तैयार किया था। कंपनी के मुताबिक 25 टन प्रतिदिन ऑक्सीजन सप्लाई की क्षमता वाला ऑक्सीजन बॉटलिंग और रिफिलिंग प्लांट भी बनाया था। कंपनी के मुताबिक इस पहल पर 9 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। ऑक्सीजन सप्लाई और ऑक्सीजन बॉटलिंग प्लांट पर 17 करोड़ रुपये खर्च होने थे। हर महीने इस बॉटलिंग प्लांट पर 2 करोड़ रुपये का खर्च आता।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत पूरा मध्य प्रदेश शासन इस समय संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाएं संचालनालय की ओर से अस्पताल को बंद करने के पत्र ने तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। सरकार का आदेश कहता है कि सागर जिले में पिछले कुछ समय से एक भी नया केस नहीं आया है। ऐसे में इस अस्पताल को कायम रखने का कोई औचित्य नहीं है।

सागर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुरेश बौद्ध का कहना है कि इस अस्पताल को दूसरी लहर के दौरान तैयार किया गया था। अच्छी बात यह रही कि एक भी मरीज को यहां भर्ती नहीं करना पड़ा। अभी जिले में हमारे कोविड-19 केयर सेंटर काम कर रहे हैं। अगर मरीजों की संख्या बढ़ी तो इन सेंटर्स पर इलाज हो सकेगा। राज्य सरकार के आदेश के तहत 30 नवंबर को इस अस्पताल को बंद कर दिया गया है। वैसे, सूत्रों का कहना है कि यह अस्थायी अस्पताल बना रहता तो सागर के साथ-साथ रायसेन, विदिशा जिलों के भी संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा सकता था। साभार मिडिया रिपोर्ट