स्वर्ग को मनुष्य में उतारना ही सपनों का भारत है : प्रो.सिंह

शासकीय महाविद्यालय चांद (छिंदवाड़ा) की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर “मेरे सपनों का भारत” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता बतौर बोलते हुए मोटीवेटर वक्ता डॉ. अमर सिंह ने कहा कि वैश्विक स्पर्धा में अव्वल आना, जो हम हैं, और जो हो सकते हैं, को साकार करना और सारे जग को ब्रह्ममय बनाना ही मेरे सपनों का भारत होना चाहिए। अगर कहीं स्वर्ग है, तो उसे मनुष्य में उतारना, स्वयं का सर्वोत्कृष्ट देना और अंतिम छोर के व्यक्ति की संभावनाओं का चरम विकास हो सबके सपनों का भारत होना चाहिए….

प्राचार्य प्रो.डी.के.गुप्ता ने कहा कि इतिहास की भूलों को सुधारकर विकसित भारत का निर्माण ही हमारा सपना होना चाहिए।

प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि ज्ञान प्राप्ति पर किसी का भी एकाधिकार नहीं हो सकता है, और न ही इसका कोई अंतिम छोर है। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि अमृत कलश उसी को नसीब होता है जिसे गरल पीने का शौक होता है।

प्रो. आर. के पहाड़े ने कहा कि हम अपने कर्मों की ऊंचाई बढ़ाकर समस्याओं को पैरों तले रौंद सकते हैं। प्रो. विनोद कुमार शेंडे ने कहा कि इच्छा शक्ति के ब्रह्मास्त्र से अधोगति से उबरा जा सकता है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि स्थिर प्रज्ञ इंसान ही दिव्य युगपुरुष का निर्माण कर सकता है।

प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि विद्याचक्षु से सामर्थ्य आती है और तत्पश्चात द्वंद्वों के स्थाई समाधान निकलते हैं। संतोष अमोडिया ने कहा कि जीवन में उपलब्धियां हमारे संघर्ष की ऊंचाई के बराबर होती हैं। निबंध प्रतियोगिता में प्रेरणा आरधी प्रथम, रिया रघुवंशी द्वितीय और सुरभि रघुवंशी ने प्राप्त किया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।