धूर्त और ब्लैकमेलरों को गणतंत्र दिवस की 73वी वर्षगांठ मुबारक हो ….?

गणतंत्र दिवस पर विशेष ….

मुबारक हो ….

नेताओं ,नौकरशाहों ,पूजीपतियों ,सेठ साहूकारों ,अपराधियों, तांत्रिकों ,धूर्त और ब्लैकमेलरों को गणतंत्र दिवस की 73 वी वर्षगांठ मुबारक हो …. यह गणतंत्र अब ऐसे ही वर्गों और तत्वों की दूरभिसंधियों पर टिके हुए लोकतंत्र के दानवी बना दिए गए पेट में देश की 135 करोड़ जनता को लील चुकी है और लोग उसके भीतर कीड़े मकोड़ों की तरह बिलबिला रहे हैं ! इसी गणतंत्र की आधारशिला पर चंद लोगों की अय्याशी के आरामदेह शयनकक्ष खड़े किए गए हैं ! जो काम शताब्दियों में मुगलों और गोरों ने इस देश की जनता के साथ नहीं किया ,वह इसी देश के कालों ने अपने ही लोगों के साथ कर डाला है ! कोई भी कालिख इन चेहरे को स्याह करने के लिए नाकाफी  होगी ! जिनके चेहरों से इस गणतंत्र की कांति चमक रही है उसे उन्होंने भोली-भाली जनता को छलकर उसके रक्त से सिंचित किया है !

  गुलामी की सराहना की अनुगूंज यदि नेपथ्य में बहुत दूर से भी सुनाई देती हो तो यह भीषण निंदनीय है, लेकिन यह कहे बिना नहीं रहा जा सकता कि गणतंत्र के इन 73 सालों में इस देश के लोगों ने उसमें से भी बहुत कुछ खो दिया है, जिसे वे सैकड़ों वर्षो की दासता और भीषण दरिद्रता से भी सहेजकर रखे हुए थे ! स्वाधीनता के इन सालों में लोकतंत्र खास वजहों से स्थापित की गई प्रवृत्तियों के हाथों बिक गया ! भ्रष्टाचार और अपराधिक वर्चस्व ने राजनीतिक पार्टियों को उदरस्थ कर लिया और देश के लोगों के समक्ष विकल्पहीनता की नहीं किंकर्तव्य विमूढ़ता की भी स्थिति पैदा कर दी गई ! इन हालातों में लोगों को भाग्यवादी ,निराशावादी भी बनाया और गलत लोगों से प्रेरणा लेकर वे भी छोटे स्वार्थों की दुनिया बुनने लगे ! इस देश की स्वाधीनता उनके लिए है और लोकतंत्र में सरकार व व्यवस्था के कर्णधार वे खुद हैं ,वे मालिक हैं इस देश के.. यह तथ्य क्रूरतापूर्वक कुचला गया ! इसकी कल्पना तक लोकतंत्र के मसीहाओं के मन में भी पैदा नहीं होने दी गई !

  लोकतंत्र में जनता मालिक होती है ! वह वोट से अपने नुमाइंदे चुनती है और फिर जनता की सेवा के लिए यदि हम उन्हें साफ शब्दों में नौकर ना कहे तो व्यवस्था बनाए रखने के लिए कर्मचारी रखे जाते हैं , लेकिन ये नौकर पहले ही दिन से मालिक बन गए और इन्होंने देश के मालिकों को उनकी ही जायदाद की चौखट से बहुत दूर विवश और तकलीफों से भरी गुलामी की जिंदगी के चक्रव्यूह में झोंक दिया ! जनता ने अपनी आजादी को बरकरार रखने के लिए उन्हें प्रतिनिधि चुना ,उन्होंने अपराधियों और नौकरशाहों से  गलबहियां डालकर जनता को ठग लिया और उसे भयभीत करना शुरू कर दिया ! वे कौन लोग हैं….? जो आजाद देश में वैभवशाली मकानों में रह रहे हैं और आलीशान कारों में घूम रहे हैं ….? वे कौन लोग हैं जो इस देश के मालिकों को लाचार भिखारियों में बदल रहे हैं ….? उन्हें मध्यान भोजन, मकान , निशुल्क राशन और रोजगार के नाम पर कर्ज का कुछ रुपया हेराफेरी करके पहुंचा रहे हैं ? ये वही लोग हैं जिन्होंने इस देश की आजादी और लोकतंत्र पर कब्जा कर लिया है तथा शेष जनता को गुलामी से बदत्तर हालात में रहने को विवश कर दिया है !

  यह कैसा गणतंत्र है जिसमें अब लोगों को सिर्फ अपनी आजीविका के लिए ही संघर्ष नहीं करना पड़ता बल्कि गुंडों से अपनी इज्ज़त बचाने का बंदोबस्त भी खुद ही करना पड़ता है ! इस देश में आम आदमी की सुनवाई नहीं होती है ! उसके लिए न्याय का कोई दरवाजा शेष ही नहीं रह गया है ….? चन्द मुटठी भर लोगों ने आजादी और लोकतंत्र को अपनी तंदुरुस्ती और हिफाज़त के लिए घालमेल का क्रीड़ांगन बना लिया है ! सभी राजनीतिक पार्टियों में नीचे से ऊपर तक दूरभिसंधियां हैं और जनता के वोटों को ठगने का कुटिल मंशाओं से प्रेरित घृणित खेल चल रहा है ! इस देश में गणतंत्र का मतलब इतना ही नहीं है कि कुछ सरकारी समारोह हो जाएंगे, अवकाश रहेगा, गणतंत्र की औपचारिकता निभाएंगे, बस इससे अधिक कुछ नहीं ..? इस देश का आम आदमी आज़ाद कभी नहीं हो सकता ? उसे आज़ाद होने और लोकतंत्र स्थापित करने के लिए अभी बहुत कुछ करना शेष है ! इसके लिए उसे अगुवाई करने वाले की जरूरत है और चाणक्य , गांधी जैसे मसीहा पथ-प्रदर्शक की जरूरत है ! हम भी उसके साथ ही प्रतीक्षारत हैं ....राकेश प्रजापति