दूसरी लहर में जीका वायरस का कम्यूनिटी स्प्रेड..

कम्यूनिटी स्प्रेड इसे कहते है जब कोई बीमारी स्थानीय स्तर पर फैलना शुरू हो जाती है। सामान्यत: कोई भी बीमारी कहीं से फैलनी शुरू हो सकती है  और देखते देखते हर जगह फैल जाती है तो इसे कम्यूनिटी स्प्रेड कहते है इसमे बीमार की कोई  ट्रैवल हिस्ट्री नहीं मिलती ..कोरोना की दूसरी लहर के दौरान केरल में सामने आए जीका वायरस के बारे में चौंकाने वाला तथ्य सामने आए है। केरल में फैले जीका वायरस की पहली रिपोर्ट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ( ICMR-NIV ) पुणे द्वारा जारी की गई है ..
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल केरल में मिले जीका वायरस के मामलों कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं मिली थी। पिछले एक महीने के अंदर भी कोई ट्रैवल हिस्ट्री सामने नहीं आई और परिवार के सदस्यों में भी इसके लक्षण नहीं थे। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि जीका वायरस का कम्यूनिटी स्प्रेड हुआ होगा।

केरल में आठ जुलाई 2021 को जीका वायरस का पहला मामला सामने आया था। यहां 24 साल को गर्भवती महिला में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। जांच के दौरान महिला में बुखार, सिरदर्द, शरीर पर लाल चकत्ते जैसे लक्षण थे, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती किया गया था।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से जीका वायरस को लेकर चेतावनी जारी की गई है। आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में हुई स्टडी में सामने आया है कि जीका वायरस को रोकने के लिए कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। दरअसल, केरल में फैले इस जीका वायरस के कम्यूनिटी स्प्रेड के संकेत मिले हैं। ऐसे में अध्ययन में सामने आया है कि देश के अन्य हिस्सों में जीका वायरस के कठिन मानवीय और कीट विज्ञानी निगरानी की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीका वायरस के मामले कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान सामने आए थे और इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर अतिरिक्त बोझ पड़ा था।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक, सीरोसर्वे में केरल सबसे बेहतर रहा। यहां राष्ट्रीय औसत 21.9 प्रतिशत की तुलना में 11.6 प्रतिशत सीरोसर्वे किया गया। आईसीएमआर का कहना है केरल की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी और सक्रिय निगरानी की मदद से राज्य ने स्वास्थ्य कर्मियों के बीच जीका के मामलों की समय पर पहचान करने में मदद की। साभार मिडिया रिपोर्ट