चुनाव प्रचार के लिए पशुओं के इस्तेमाल पर रोक ..

प्रदेश में अभी शाम ५ बजे प्रथम चरण में होने बाले मात्दान के लिए चुनाव प्रचार थम गया है ! अब प्रत्याशी बिना शोर शराबा किये घर घर जाकर अपने लिए वोट मांगेंगे ! इसी बीच खबर आई है की मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग ने फैसला लिया है की ने स्थानीय निकाय चुनाव में प्रचार के लिए पशुओं के इस्तेमाल नही किया जाएगा  है। सभी जिला कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारियों को इस बारे में आदेश जारी किए गए हैं। आदेश के मुताबिक, भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 क (छ) के तहत मूल कर्तव्य के रुप में सजीव प्राणियों के प्रति करुणा दिखाने की अपेक्षा की गई है।

देश के संविधान में पशुओं के प्रति क्रूरता के निवारण अधिनियम 1960 और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में प्रताड़ना पर प्रतिबंध लगाया गया है। ऐसे में निर्वाचन आयोग के आदेश के बाद अब कोई भी राजनीतिक दल या प्रत्याशी प्रचार के लिए पशुओं का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।

ज्ञात हो कि भोपाल में बीजेपी प्रत्याशी ने चुनाव प्रचार में ऊंट का इस्तेमाल किया था। जिसकी शिकायत कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की थी। कांग्रेस के महामंत्री और चुनाव आयोग कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया ने आयोग से इसकी शिकायत की और कहा कि प्रचार में बेजुबान का इस्तेमाल करना गलत है।

धनोपिया ने बीजेपी प्रत्याशी, विधायक रामेश्वर शर्मा आदि नेताओं पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया था। इस पर राज्य निर्वाचन आयोग ने यह निर्देश दिए है !