गोवर्धन पूजा के साथ मडई मेलो की धूम ….

दिपावली के अगले दिन  आज गोवर्धन पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन गोवर्धन पर्वत के साथ पशुधन का पूरे श्रद्धा भाव से पूजन किया जाता है ! साथ ही गाय के नवजात बछड़े के साथ यादव , गौली सामाज के लोग एक विशेष खेल खेलते है ! उसके बाद ये विशेष आभूषानों से सुसज्जित कौड़ियों की ड्रेस पहन कर स्थानीय भाषा मे  लोक संगीत के साथ नाचते गाते और खुशिया मनाते है ! इसके साथ ही आज से ग्रामीण अंचलो में मडई मेलो का आयोजन होना शुरू हो जाता है ! जो आगामी तुलसी पूजा तक चलता है , ग्रामीण अंचलों में इसके अपने ही मजे है 

मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल के कुछ हिस्से ब्रज से लगे हुए हैं। इसलिए इन इलाकों में भी गोवर्धन पूजा बड़ी धूमधाम से होती है। गोवर्धन पूजा से पहले लोग अपने पशुधन को स्नान करवाते हैं। इसके बाद उनका श्रृंगार करते हैं।

गाय-बैल को सजाने के बाद उनकी पूजा की जाती है। साथ ही उन्हें अच्छा खाना देते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा भी की जाती है। उन्हें अन्न कूट का भोग लगाया जाता है। प्रदेश के कई जगहों पर यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह पर्व कार्तिक के हिंदू चंद्र महीने के पहले दिन मनाई जाती है। इस बार गोवर्धन पूजा पांच नवंबर को है।पूजा के लिए गांव में लोग गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं। उसकी परिक्रमा करते और उसके बाद पूजा करते हैं। गोवर्धन पूजा को लेकर मान्यता है कि इससे पर्यावरण स्वच्छ रहता है। हिंदू धर्म में गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार गोवर्धन पूजा का इस साल शुभ मुहूर्त 5 : 28 AM से 07 : 55 AM तक है। अगर इस समय पूजा करने से चूक गए हैं तो फिर शाम में सर्वश्रेष्ठ समय है। शाम में पूजा का मुहूर्त 5 : 16 PM से 5 :43 PM है।