अतिथि विद्वानों की तबादला सारिणी जारी ..

प्रदेश में हजारों अतिथि विद्वान अपनी सेवाएं नियमित शिक्षकों की भांति लगातार दे रहे हैं ! परंतु अपनी विभिन्न मांगों को लेकर वे लगातार शासन ,प्रशासन और सरकार तक अपनी बातें विभिन्न माध्यमों ज्ञापन,धरना, आंदोलन, रैली ,अनशन आमरण जैसे जानलेवा निर्णयों के माध्यम से पहुंचाते रहे हैं ! जिसमे उनके अनेक साथीयो की जाने जा चुकी है ! बावजूद इसके इनकी कथा बड़ी व्यथा भरी है !उसको सुनने वाला सरकार में शायद कोई नहीं है ! बावजूद इसके वह अपनी सेवाएं लगातार देते आ रहे हैं ! परंतु सरकार एक के बाद एक इनके विरुद्ध निर्णय लेकर एक तरह से मानसिक प्रताड़ना देने का काम कर रही है ! ऐसा ही एक आदेश शासन द्वारा जारी हुआ ,जिसको लेकर अतिथि विद्वानों में आक्रोश देखा जा रहा है ! परंतु अतिथि विद्वान मरता क्या न करता की तर्ज पर अपनी सेवाएं देने के लिए मजबूर है ! मजबूरी भी ऐसी एक तरफ बेरोजगारी का डर तो दूसरी तरफ परिवार के भरण-पोषण को लेकर चिंता ! ऐसी स्थिति में अतिथि विद्वान कोई ठोस निर्णय लेने की स्थिति में फिलहाल नजर नहीं आते हैं….राकेश प्रजापति 

सूबे के सरकारी महाविद्यालयों में पूर्व से सेवा दे रहे अतिथि विद्वानों के विभागीय ट्रांसफर का कैलेंडर उच्च शिक्षा विभाग भोपाल से वकायदा जारी कर दिया गया है। इसमें विभाग ने रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि विद्वानों की च्वाइस मांगी है जिसमें अतिथि विद्वान जो पद रिक्त हैं उन पर अपनी च्वाइस देंगे फिर विभाग मेरिट जारी कर उनको उनकी मनचाही कॉलेज में आवंटित करेगा।

ये प्रक्रिया 25 अगस्त से 9 सितंबर तक चलेगी।इसके बाद प्राचार्य फिर अपने महाविद्यालयों की रिक्त सीटों की जानकारी अपडेट करेंगे।इससे दूर दराज सेवा दे रहे अतिथि विद्वानों को कुछ सहूलियत मिल सकती है।साथ ही रिक्त पदों पर पूर्व जारी हुआ कैलेंडर का फिर संशोधन समय सारणी जारी की गई है।

महासंघ ने दी कड़ी प्रतिक्रिया :- इधर संघ ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए जारी किया बयान,अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा की आज पूरा प्रदेश जानता है की पिछले दो दशकों से ज्यादा समय से उच्च शिक्षा विभाग को सिर्फ़ और सिर्फ़ अतिथि विद्वान ही संभाल रहे हैं।नैक,रुसा,प्रवेश,प्रबंधन,परीक्षा, अध्यापन,मूल्यांकन आदि समस्त कार्य अतिथि विद्वान कर रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य की बात है आज तक अतिथि विद्वानों के नाम से शोषणकारी अतिथि नाम सरकार नहीं हटा पाई है जो की बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।अगर सरकार विद्वानों के लिए चिंतित है तो शासन प्रशासन से अनुरोध है की अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित करें।

आज़ मंहगाई चरम पर है पिछले पांच वर्षों से अतिथि विद्वानों का मानदेय नहीं बढ़ा है।आर्थिक बदहाली और अनिश्चित भविष्य होने के बावजूद अतिथि विद्वान सेवा दे रहे हैं।सरकार से आग्रह है की अतिथि विद्वानों की सेवा शर्तों में सुधार करते हुए भविष्य सुरक्षित कर नियमित करें…. डॉ देवराज सिंह अध्यक्ष,अतिथि विद्वान महासंघ