समय का दुरुपयोग करने वाले ही कमी का रोना रोते हैं : प्रो. सिंह

शासकीय राजमाता सिंधिया कन्या महाविद्यालय छिंदवाड़ा के मनोविज्ञान विभाग द्वारा “समय प्रबंधन और भावनात्मक स्वास्थ्य” पर आयोजित कार्यशाला में प्रमुख वक्ता बतौर बोलते हुए चांद कॉलेज के प्रेरक वक्ता प्रो.अमर सिंह ने कहा कि समय ही हमें सिंहासन पर विराजमान करता है और उतारते हुए भी देर नहीं करता है। वक्त एक दिन सबकी काबिलियत और औकात बता देता है। समय दिखाई नहीं देता है पर दिखा देता है। कर्म समय को अच्छा बुरा बनाते हैं। समय अपने खेल खेलने में शोर नहीं मचाता है..

वक्त व्यक्ति की औकात के अनुसार देता है। वक्त का सितम हर तरफ से वार करता है। वक्त नूर को बेनूर और जख्म को नासूर बना देता है। वक्त को बदलने की रिवाज है, यह संभलने का मौका नहीं देता है। वक्त की गर्द में सनकर मर्द निकलते हैं। वक्त फंसाता है, पर बहादुर उलझते नहीं हैं। वक्त एक पल में नकाब हटा देता है। समय घमंडी से सूद समेत बसूलता है। भविष्य की अति फिक्र वर्तमान को लील लेती है। वक्त का इस्तेमाल ही हम सबसे अधिक बुरे तरीके से करते हैं।

पूर्व प्राचार्य प्रो. कामना वर्मा ने भावनात्मक स्वास्थ्य पर अपने उद्वोधन में कहा कि भावनाओं के ज्वार में बहकर जीवन पटरी से उतर जाता है, और हमारे निर्णय मूर्खतापूर्ण हो जाते हैं जहां से लौटना मुश्किल हो जाता है। कोई भी इतना धनवान नहीं है कि बीते पल को खरीद सके। वक्त की बेकदर अनर्थ लेके आती है। बेहतरीन होने के लिए बुरे दिनों से लड़ना पड़ता है। प्राचार्य प्रो. अजरा एजाज ने कहा कि वक्त के खजाने से एक एक पल चुराना पड़ता है। अगर वक्त के बंटवारे में पक्षपात होता तो कई विश्व युद्ध हो चुके होते। वक्त के पाबंद को ठिकाना मिल जाता है और लापरवाह को वक्त ठिकाने लगा देता है।

मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. अनीता कौशल ने कहा कि अपने लक्ष्य सिद्धि के लिए जीवन में प्राथमिकता निर्धारण करना अति आवश्यक है, अन्यथा भटकाव की स्थिति पैदा होती है। प्रो. दीपा परते ने कहा कि जो आज और अभी काम को निपटाता है वही राज करता है। प्रो. कविता माकोड़े ने कहा कि काम को खत्म करने की अवधि निर्धारित कर वक्त की बचत कल सकते हैं। प्रो.नीता मालवीय ने कहा कि काम को अति आवश्यक, जरूरी और गैर जरूरी तरीके से वर्गीकृत कर वक्त की बचत कर सकते हैं। प्रो. जितेंद्र डहेरिया ने कहा कि हमें गैररचनात्मक कार्यों पर कम ध्यान देना चाहिए। कार्यशाला में मनोविज्ञान विभाग की समस्त छात्राएं उपस्थित रहीं।