लंदन में हुई जैन दर्शन पर चर्चा ..

युनिवर्सिटी ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ ओरियंटल एवं एशियन स्टडीज में सेंटर ऑफ जैना स्टडीज द्वारा प्योर सोल एवं जैनिज्म इन्साइड आउट संगोष्ठी विगत दिनों आयोजित की गई। इस संगोष्ठी में अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन के युवा विद्धानों ने जैनदर्शन के साथ आध्यात्मिक सत्पुरुष कानजी स्वामी से संबंधित विविध विषयों पर शोधार्थियों एवं विशेषज्ञ विद्वानों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किये ….

फेडरेशन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी दीपकराज जैन ने बताया कि संगोष्ठी के प्रथम दिन तत्त्ववेत्ता डॉक्टर हुकुमचंद भारिल्ल द्वारा लिखित शोध पत्र भगवान महावीर और उनके अनुयायी कानजी स्वामी का वाचन डॉ भारिल्ल के सुपुत्र परमात्म प्रकाश भारिल्ल द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किया गया।

इस संगोष्ठी में टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय के स्नातक विद्वान अंकुर शास्त्री द्वारा तारण स्वामी के अवदान पर, जिनेश शेठ द्वारा समयसार पर और अच्युतकांत शास्त्री द्वारा निमित्त उपादान पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया गया।

दो दिवसीय संगोष्ठी में भारत के अलावा दुनिया भर के शोधार्थी और विद्वानों ने जैनदर्शन से संबंधित शोधपत्र पढ़े। इनमें कैलिफोर्निया से एना बैजल, पैरिस से जेरोम पेट्रिट, पोलेंड से मैटगोर्जेटा ग्लिनिका, लंदन से कोरिन स्मिथ, मुंबई से कामिनी गोगरी, पैरिस से नलिनी बलबीर जैसे विद्वान प्रमुख रहे।संगोष्ठी का संयोजन पीटल फ्लूगल, हेड, एसओएएस द्वारा किया गया।

संगोष्ठी में विद्वान हेमंत गांधी ने गुरुदेवश्री कानजी स्वामी के साथ अपने संस्मरण सुनाये। कार्यक्रम के दौरान गुरुदेवश्री कानजी स्वामी के व्यक्तित्व पर एक डॉक्युमेंट्र्री का भी प्रदर्शन किया गया , इसका  निर्माण एसओएएस, युनिवर्सिटी ऑफ लंदन की शोधार्थी एना सोवा, रेमी सोवा और कोरिन स्मिथ द्वारा किया गया है। लंदन की ब्रुनेई गैलरी में जैनदर्शन के विविध पक्षों को उजागर करती प्रदर्शनी लगाई गई है जो आगामी पच्चीस जून तक जारी रहेगी।

संगोष्ठी में बड़ी संख्या में लोगों ने जैनदर्शन और आध्यात्मिक सत्पुरुष कानजी स्वामी से संबंधित इतने भव्य आयोजन की जमकर सराहना की तथा भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों की उपयोगिता बताई। जिससे भारत देश के बाहर जैनदर्शन सहित गुरुदेवश्री कानजी स्वामी और उनके शुद्ध तत्त्वज्ञान की प्रभावना की जा सके। संम्पूर्ण आयोजन के दौरान संम्पूर्ण विश्व ने भारतीय संस्कृति सहित तीर्थंकर महावीर के मुख्य सिद्धांत सर्वोदय अहिंसा का सच्चा स्वरुप जाना।