‘गीता ज्ञान प्रभा’ धारावाहिक .. 3

मध्य प्रदेश के नरसिंगपुर जिले की माटी के मूर्धन्य साहित्यकार स्वर्गीय डॉक्टर रमेश कुमार बुधौलियाजी द्वारा रचित ‘गीता ज्ञान प्रभा’ ग्रंथ एक अमूल्य ,धार्मिक साहित्यिक धरोहर है, जिसमे डॉक्टर साहब द्वारा ज्ञानेश्वरीजी महाराज रचित ज्ञानेश्वरी गीता का भावानुवाद किया है, श्रीमद्भगवतगीता के 700 संस्कृत श्लोकों को गीता ज्ञान प्रभा में 2868 विलक्ष्ण छंदों में समेटा गया है।

उन्ही के द्वारा श्रीमद्भगवतगीता महाकाव्य की छंदोंमयी श्रंखला ‘गीता ज्ञान प्रभा ‘ धारावाहिक की तीसरी कड़ी ..

अध्याय- एक

                 -:  अर्जुन विषाद योग :-

श्लोक ….(७,८)

फिर भी हे द्विज श्रेष्ठ, श्रेष्ठता में हम हैं सबसे ऊपर,

कौन रहा जो करे सामना, भीष्म पितामह से भूपर?

प्रमुख रहे अपनी सेना में, नाम गिनाता हूं उनके,

कुछ संज्ञान कराने उनका, थोड़े में जुड़ता उनसे ।!

 

आप सरीखे आप, आपसे हो सकती किसकी समता?

रहे सूर्य साक्षात वीरता में, जो उन जैसी क्षमता

कहाँ रही अन्यत्र छोड़, गंगासुत भीष्म पितामह के?

आप जहां हों, जहां पितामह, वहां विजय चलती झुक के ।!

 

कर्ण सरीखा वीर दूसरा रहा न पृथ्वी पर कोई,

उसका पूरा साथ मिला है हमको, केवल हमको ही ।

ये विभूतियाँ तीनों अतुलित और अपरिमित शौर्य मयी,

इनमें से कोई जो चाहे कर ले वश में सकल मही ।!

 

किसी एक के निश्चय से ही हो संहार सकल जग का,

कृपाचार्य का अखिल भुवन में कहाँ शौर्य सारा अटता ?

वे भी एक अकेले चाहे तो सारा जग जीत सकें,

बड़े-बड़े योद्धा जो, केवल सुनकर उनका नाम कँपें ।!

 

इधर देखिए यह विकीर्ण तो उधर रहा अश्वत्थामा,

कालरात्रि जो है अरि दल की, धनुष वाण जिसका बाना |

काल स्वयं जिससे डरता है अतुलित योद्धा जो युग का.

सोमदति यह हर हालत में वरण विजय का जो करता ।!

श्लोक ….(९)

इसी तरह अन्यान्य वीर जिनकी न थाह ब्रह्मा पाए,

यहाँ उपस्थित हैं जो आस्था अपनी दर्शाने आए ।

केवल निपुण नहीं शस्त्रों की विद्या के वे अवतारी,

अतुलित योद्धा फिर भी इनकी निष्ठा है मुझमें सारी ।!

 

पति परायणा नारी का डर पति को छोड़ न बसे कहीं,

इन वीरों का प्राण बसे केवल मुझमें, यह दशा रही ।

स्वामि-भक्त से ऐसे मोह न इनको अपने प्राणों का,

ज्ञान-धर्म इनसे यश पाता, गौरव को गौरव मिलता ।!

 

कौन करें वीरों की गणना एक-एक से हैं बढ़कर,

पाता है प्रसिद्धि इनसे ही युद्धस्थल में रण-कौशल ।

मरते दम तक विजयी मुझे बनाने युद्ध करेंगे ये,

योद्धाओं में श्रेष्ठ सभी न्यौछावर प्राण करेंगे ये ।!

श्लोक ….(१०)

पाण्डव सेना से है अधिक सुरक्षित यह अपनी सेना,

नहीं सवाई ड्योढ़ी से भी अधिक रही अपनी सेना ।

भीष्म पितामह से संरक्षित कौन जीत सकता इसको ?

क्या वह, भीम बने सेनापति संचालित करते जिसको ? क्रमशः….