सुरंग से निकलने के पहले चिंता में पिता चल बसे ..

उत्तराखंड की त्रासदी पर गोदी मीडिया वास्तविक स्थिति का चित्रण नहीं कर रहा है । सुरंग में फंसे लोग और उनके परिजनों को किस तरह की परेशानियों और मानसिक संताप का सामना करना पड़ा है यह तो इस बात से ही सिद्ध होता है कि श्रमिको के परिवार के लोग कितने मानसिक रूप से पीड़ित थे की अपने बेटे के सुरक्षित वापसी की राह देखते–देखते पिता की पथराई आंखे हमें के लिए बंद हो गई । बेटे के सुरक्षित वापस लौटने का सपना  लिए पिता मौत के अंधकार में समा गया …

उत्तराखंड में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग से निकलने से पहले पिता की बेटे की चिंता में पिता की मौत हो गई !मामला रांची से उनके परिवार ने यह जानकारी दी। बेटे के सुरंग से बाहर निकलने से कुछ घंटे पहले ही झारखंड के रहने वाले बारसा मुर्मू (70) ने दम तोड़ दिया।

उनके परिवार के सदस्यों ने बुधवार को बताया कि मुर्मू 12 नवंबर को सुरंग के ढहने की खबर सुनने के बाद अपने बेटे 28 वर्षीय बकतू के लिए चिंतित थे। पूर्वी सिंहभूम जिले के बहदा गांव के निवासी मुर्मू की मंगलवार सुबह करीब आठ बजे उस समय मौत हो गई, जब वह अपनी चारपाई पर बैठे थे। संपर्क करने पर, स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने कहा कि वे अभी तक मौत की वजह की पुष्टि नहीं कर पाये हैं, हालांकि संभवत: मुर्मू की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।