हनीट्रैप : चेहर उजागर होने के डर से सुप्रीम कोर्ट जाने की बात ..

प्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान उजागर हुए बहुचर्चित हनीट्रैप मामला जिसमे प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी , कार्पोरेट जगत के मगरमच्छ  और शराब माफिया , भू-माफियों के राजनैतिक संरक्षण में महिलाओं के गर्म गोस्त की भूमिका और भक्षण का गंदा खेल उजागर हुआ ! मामले की गंभीरता इसी बात से ही लगया जा सकती है की तत्कालीन कमलनाथ कांग्रेस सरकार और बीते दो सालों से भाजपा की शिवराज सरकार होते हुए भी नौकरशाहों , माफिया और राजनेताओं के गठजोड़ के वे स्याह चेहरे जो चन्द पैसो ,गर्म और नर्म विस्तारो की चाह में प्रदेश के क़ानून कायदों को नगर वधुओं की चौखटो में जिस्मो की मानिंद बेपर्दा कर रहे थे !

इस गंदे और घिनौने खेल के खिलाडियों को ये सरकारे अब तक दिगंबर नही कर पाई ? ये अनेको सबालों को जन्म देता है और सभी की भूमिका पर सवाल खड़े करता है कि प्रदेश में क़ानून का राज है ….? तारीख पर तारीख , कोर्ट दर कोर्ट ऐसा कब तक चलेगा ..? कब ये कलंकित चेहरे जनता के सामने होंगे ! ताकि जनता इन चेहरों पर थूक कर धिक्कार कह सके ….राकेश प्रजापति 

ज्ञात हो की 17 सितंबर 2019 को इंदौर नगर निगम के सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह ने पलासिया थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में हरभजन सिंह ने बताया था कि उन्हें 29 साल की आरती दयाल और उसकी साथी महिलाएं ब्लैकमेल कर रही हैं। इंजीनियर हरभजन सिंह की 3 करोड़ रुपये मांगने की शिकायत के बाद भोपाल और इंदौर पुलिस ने कार्रवाई कर ब्लैकमेलिंग करने वाली पांच महिलाओं श्वेता स्वप्निल जैन, श्वेता विजय जैन, आरती दयाल, बरखा सोनी और मोनिका यादव को गिरफ्तार किया था।

 

इस मामले की जांच में एसआईटी ने आरोपी महिलाओं से सीडी, मोबाइल, पैन ड्राइव सहित काफी सामान जब्त किया था। इनकी जांच पुलिस ने अपनी ही लैब में करवाई है। इसे कोर्ट ने अनुचित मानते हुए जब्त किए गए सभी इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को हैदराबाद स्थित लैब में जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए थे। 

 

प्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप मामले में हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट की विशेष न्यायालय को आदेश दिए हैं कि जिस इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को पुलिस ने जब्त किया है उसे कोर्ट के सामने सभी आरोपियों व अधिवक्ताओं की उपस्थिति में दिखाया जा सकता है। हालांकि आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ने इस पर आपत्ति ली है और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।

ज्ञात हो कि कल हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है। इस पर अधिवक्ता यावर खान ने आपत्ति ली। यावर खान ने कहा कि इस फैसले से हम असंतुष्ट हैं। हमें सभी आरोपियों को सभी इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज जैसे पैन ड्राइव, सीडी, देने की बात कही थी। लेकिन इस आदेश को लेकर हम जल्द सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। हनी ट्रैप प्रकरण में एसआईटी द्वारा जो सीडी, पैनड्राइव, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जब्त किए गए थे उनकी एफएसएल जांच कराई गई थी। एफएसएल जांच होने के बाद पुलिस ने आरोपियों के वकीलों को इसकी जांच की सीडी देने से इन्कार कर दिया था।

 

जिला न्यायधीश एट्रोसिटी एक्ट रेणुका कंचन की कोर्ट ने यह आदेश दिए थे कि जब्त सीडी व जांच रिपोर्ट की एक प्रति आरोपी के वकीलों को दी जाए। शासन ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने पुलिस और आरोपी के वकीलों के तर्क सुनकर आदेश सुरक्षित रखा था।

 

कल हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की कोर्ट ने आदेश दिए है कि जब्त सीडी, पेनड्राइव और समस्त इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को जिला न्यायाधीश एट्रोसिटी कोर्ट इंदौर के समक्ष सीडी चलाकर आरोपी के अधिवक्ता उसका अवलोकन कर सकते हैं। इस पर अधिवक्ता खान ने कहा कि हम इस आदेश से संतुष्ट नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेंगे।