साहित्यिक मूल्यों के क्षरण को बचाना ही मनुष्यता है : प्रो. तिवारी

पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा के अंग्रेजी विभाग द्वारा “संस्कृति वृतांत और साहित्य: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में बीज वक्ता बतौर बोलते हुए इंदिरा कला संगीत अकादमी विश्वविद्यालय खैरागढ़ के अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रो. आई. डी. तिवारी ने कहा कि विचारों को वृतांत में बांधना लेखक का रचना धर्म होता है। विचारों को बिना वर्णात्मक स्वरूप दिए साहित्य सांस्कृतिक मूल्यों को जन मानस तक नहीं पहुंचा सकता है। व्यक्ति सांस्कृतिक विरासत में प्राप्त दिव्यज्ञान को अपनी स्वयं की भाषा शैली में व्यक्त कर मानवता की सेवा कर सकता है। साहित्यिक मूल्यों को जीवित रखना ही मनुष्यता है..

प्रमुख वक्ता माता जीजाबाई शासकीय कन्या महाविद्यालय इंदौर के अंग्रेजी केटी प्राध्यापक प्रो. अशोक सचदेवा ने अपने उद्बोधन में कहा कि कहानी बहुपरिप्रेक्ष्य मतों को एकता के सूत्र में बांधती है। मोती की तरह बिखरे विभिन्न विचार जब अवधारणात्मक सिद्धांत बनते हैं, तब समाज जीवंत बनता है।

प्राचार्य डॉ.अमिताभ पांडे ने कहा कि परंपरा से प्राप्त शाश्वत ज्ञान को अमल में लाकर हम आज के द्वंद्वों के समाधान ढूंढ सकते हैं। वेबीनार संयोजिका विभागाध्यक्ष अंग्रेजी प्रो. दीप्ति जैन ने कहा कि साहित्य, वृतांत और संस्कृति हमें दूसरों के परिप्रेक्ष्य को समझने में खासी मदद करते हैं।

प्रो.अमरसिंह ने अपने वक्तव्य में संस्कृति, वृतांत और साहित्य को मानव जीवन को अनुप्राणित करने वाली औषधि कहा।प्रो. गोपीवाला डहेरिया ने कहा की कोई भी साहित्य समकालीन समाज का ऐतिहासिक विवरण होता है जो भावी पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का कार्य करता है। प्रो. पी. सनेसर ने साहित्य को युगों से सजोए दुर्लभ मानव मूल्यों का खजाना बताया जिसके लिए भावी पीढ़ी हमेशा ऋणी रहती हैं।

प्रो. नवनीत कौर ने कहा कि हर व्यक्ति पूर्व की घटनाओं को संदर्भित करते हुए अपनी अभिव्यक्ति देता है। प्रो. संजय आलोनकर ने कहा कि साहित्य से प्राप्त प्रेरणा कैरियर निर्माण में बहुत सहायक होती है। वेबीनार के डॉ. शुभ्रा तिवारी और डॉ. हेमामालिनी ने अपने शोध पेपर प्रस्तुत कर सभी प्रतिभागियों को चिंतन की नवीन दिशा प्रस्तुत की। राष्ट्रीय वेबिनार में देश भर के शोधार्थियों ने अपनी प्रतिभागिता दी।