संघर्ष के प्रतीक भाई डी के प्रजापति तुम्हें नमन ….

भाई डी के प्रजापति से मेरा परिचय लगभग 40 वर्ष पूर्व हुआ था ! मेरा जन्म स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार में हुआ ! मेरे पिता शासकीय कर्मचारी थे ! अतः हम भाई बहनों की शिक्षा दीक्षा पढ़ाई तक सीमित थी !  मेरे पिता स्वर्गीय प्रेम नारायण भार्गव गांधी विचारधारा से प्रभावित थे ! अक्सर वर्धा सेवाग्राम के बारे में बताते रहते थे ! गांधी जी और बड़े पिताजी ने अंग्रेजो के खिलाफ उन्होंने भारत की आजादी के लिए किस-किस तरह संघर्ष किया ,यह उनके जुवान से सुना पर जमीनी हकीकत में आज के परिवेश में अत्याचार और अन्याय के खिलाफ आवाज किस तरीके से उठाई जाती है यह मैंने डी के प्रजापति से ही सीखा ….

क्योंकि हम दोनों वकालत के पेशे से जुड़े हुए थे, इस कारण हमें भारत के संविधान की अच्छी समझ थी ! श्रम कानून का अध्ययन भी हम लोग दोनों मिलकर करते थे ! श्रम कानून पढा तो जरूर था, परंतु मजदूरों के हक की लड़ाई किस तरह लड़ी जाती है यह भी मैंने डी के प्रजापति से ही सिखा ..

छिंदवाड़ा जिले से 7 नदियों का उद्गम हुआ है ! सतपुड़ा की वादियों में बसा छिंदवाड़ा प्राकृतिक संपदा से भरा पड़ा है !  नागपुर शहर की स्थापना छिंदवाड़ा के बाद हुई , नागपुर छिंदवाड़ा से कई गुना बडा है ! महाराष्ट्र की उपराजधानी बन गया , परंतु छिंदवाड़ा का विकास क्यों नहीं हुआ ? इस पर मैंने और डी के प्रजापति ,एडवोकेट एम मुजम्मिल ने अध्ययन किया और हम इस नतीजे पर पहुंचे कि छिंदवाड़ा के विकास में आवागमन का साधन न होने के कारण विकास रुका हुआ है ! रेल की सुविधाओं से वंचित छिंदवाड़ा अगर बड़ी लाइन से जुड़ जाए तो छिंदवाड़ा के विकास को कोई नहीं रोक सकता !

इतिहास खंगालने पर पता चला कि प्रथम पंचवर्षीय योजना में छिंदवाड़ा को नागपुर से बड़ी लाइन से जोड़ने के लिए पूर्व सांसद सीता परमानंद ने बात रख कर इस मुद्दे को आगे बढ़ाने का प्रयास किया ! परंतु स्वर्गीय सीता परमानंद जी के देहांत हो जाने के पश्चात छिंदवाड़ा को ऐसा कोई सांसद नहीं मिला जिसने छिंदवाड़ा के विकास पर लोकसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा हो ! डी के प्रजापति ,एडवोकेट मुजम्मिल और हम इस नतीजे पर पहुंचे कि छिंदवाड़ा में रेल की बड़ी लाइन बनाने के लिए संघर्ष करना होगा और उसी वक्त हम लोगों ने रेल संघर्ष समिति की स्थापना की और संयोजक मुझे रखा गया ! मेरे पास उस वक्त सेकंड हैंड मारुति 800 गाड़ी थी , जिसे मैं खुद चलाती थी ! उस वक्त डी के प्रजापति ,एडवोकेट एम मुजम्मिल के पास चार पहिया वाहन नहीं था ! मारुति 800 से हम लोग जिले का दौरा करते थे !

डी के प्रजापति मेरे छोटे भाई आनंद भार्गव के साथ पढ़ा था ,इसलिए मेरे रिश्ते उसके साथ छोटे भाई जैसे थे और वह मुझे दीदी ही कहता था ! हम लोग रेल संघर्ष समिति के विस्तार के लिए जिले का दौरा करते थे ! डी के प्रजापति मुझे गाड़ी नहीं चलाने देता था , कहता था छोटा भाई के रहते बड़ी बहन कैसे गाड़ी चलाएगी ? रास्ते भर डॉ राम मनोहर लोहिया पर हमारी चर्चा होते रहती थी ! रेल संघर्ष समिति का विस्तार हमने सिवनी जिले में भी किया था ! डी के प्रजापति ने ही जिला सिवनी में मेरा परिचय कामरेड राजेंद्र अग्रवाल जी से करवाया था ! नागपुर से छिंदवाड़ा बड़ी लाइन करने की मांग को लेकर पांढुर्णा ,जामई, परासिया ,गुड़ी ,अंबाडा में 25-25 हजार जनता के बीच में हम लोगों ने आंदोलन किया तथा रेल अधिकारी एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ डी के प्रजापति तीखी नोकझोंक करते तथा प्रशासन को किस तरह झुकाया जाता है यह हुनर मैंने उनसे ही सीखा ..

जब रेल संघर्ष समिति की आवाज पूरे क्षेत्र में गूंजने लगी तथा छिंदवाड़ा जिले का बच्चा-बच्चा रेल संघर्ष समिति के आंदोलन को पहचानने लगा और रेल के आंदोलन को प्रशासनिक अधिकारियों ने मन से स्वीकारा क्योंकि रेल सुविधाओं से वंचित छिंदवाड़ा के विद्यार्थियों को अध्ययन करने हेतु जिले से बाहर जाने पर अत्याधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था ! छिंदवाड़ा रेल आंदोलन की गूंज लोकसभा तक पहुंचाने का श्रेय भी डी के प्रजापति को ही जाता है ..

रेल संघर्ष समिति महाकौशल के पदाधिकारी जब अपनी आवाज बुलंद करने दिल्ली पहुंचे तो नजारा देखने लायक था ! दिल्ली के अखबार छिंदवाड़ा रेल संघर्ष समिति के आंदोलन से पटे हुए थे ,इस पर दिल्ली के पत्रकारों ने तत्कालीन सांसद श्री कमलनाथ से प्रश्न किया कि आप लंबे समय से छिंदवाड़ा के सांसद रहे तथा केंद्रीय मंत्री भी रहे ,केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार रही किंतु आपने छिंदवाड़ा जिले को बड़ी लाइन की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास क्यों नहीं किया ! पत्रकार साथियों ने कमलनाथ जी से प्रश्न किया कि पूर्व सांसद सीता परमानंद ने प्रथम पंचवर्षीय योजना में छिंदवाड़ा से नागपुर बड़ी लाइन जोड़ने का प्रस्ताव रखा था ,तब आपने इसे आगे क्यों नहीं बढ़ाया ? रेल संघर्ष समिति इस आवाज को उठा रही है तब आप रेल संघर्ष समिति के साथ क्यों नहीं जुड़े हैं ? इस पर तत्कालीन सांसद कमलनाथ ने रेल संघर्ष समिति को नौटंकी की उपाधि से नवाजा !

लगातार रेल के लिए संघर्ष चलने का परिणाम यह हुआ कि देश में कोई भी नई ट्रेन चलती छिंदवाड़ा के लिए उसमें 2 सीटों का आवंटन जरूर रहता ! रेल के अधिकारियों से रेल संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को भरपूर सम्मान मिलता !

आज हमारे बीच में डी के प्रजापति जी नहीं है ,पर उनके संघर्ष के ही  परिणाम स्वरुप छिंदवाड़ा से नागपुर बड़ी रेल लाइन शुरू हो चुकी है ! छिंदवाड़ा से फिरोजपुर के लिए पातालकोट एक्सप्रेस प्रतिदिन चलती है ! भाई डी के प्रजापति तुम हमेशा छिंदवाड़ा के रेल के विस्तार को लेकर जाने जाओगे ! तुम्हारे संघर्ष के परिणाम स्वरुप ही छिंदवाड़ा रेलवे स्टेशन भारत के हर शहर से जुड़ेगा और जो तुम्हारा सपना था ,छिंदवाड़ा रेलवे स्टेशन मध्य प्रदेश के सबसे बड़े रेलवे जंक्शन इटारसी के बाद दूसरे नंबर पर पहचाना जाएगा तथा तुम्हारे इस प्रयास से छिंदवाड़ा जिले के लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा ! छिंदवाड़ा रेल संघर्ष समिति साथी तुम्हारे सपनों को जरुर मंजिल तक पहुंचाएंगे !

इन्हीं शब्दों के साथ सादर नमन करती हूँ तथा छिंदवाड़ा से नागपुर चलती हुई ट्रेन के हर डिब्बे में तुम्हारी तस्वीर दिखाई देती है ….

एडवोकेट आराधना भार्गव

मोबाइल नंबर 94251 46991