शिवराज को चुनौतियाँ कम नही ..?

बीते 15 महीने बाद प्रदेश की सत्ता ने पुनः काबिज हुए शिवराज सिंह चौहान के सामने मंत्रीमंडल का गठन करना चुनौतीपूर्ण तो है ही ? साथ ही दिग्ज्जो को साधकर , सिंधिया समर्थकों को भी जगह देना दुष्कर कार्य है तो दूसरी तरफ निर्दलीय भी मंत्री पद की चाह में सपने बुन रहे है .प्रदेश की सत्ता में चौथी बार काबिज होते ही शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है , लेकिन मंत्रीमंडल का गठन करना बड़ी चुनौती है ? शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके पुराने दिग्गज विधायकों में से कई जोड़-तोड़ में सक्रिय हो गए हैं. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भी अपने-अपने लिए बिसात बिछा रहे हैं….  

शिवराज सिंह चौहान के सामने मंत्रीमंडल का गठन करना आसान नहीं ? एक तरफ सिंधिया समर्थकों को जगह देने का वचन है तो दूसरी तरफ अपनों को तवज्जो देने की चुनौती . मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के गिरने की एक बड़ी वजह उन असंतुष्ट विधायकों को ना साध पाना भी रहा, जो मंत्री बनने की चाहत में थे. अब वही परिस्थितियां शिवराज सिंह चौहान के सामने भी मुहँ बाएं खड़ी है ?

मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं. इस हिसाब से सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल 35 विधायक मंत्री बन सकते हैं. शिवराज सरकार में सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कवायद होगी. क्षेत्रीय स्तर पर प्रदेश के सभी संभागों (मंडलों) से मंत्री बनाने के साथ सामाजिक समीकरण के स्तर पर क्षत्रिय, ब्राह्मण, पिछड़े, अनुसूचित जाति और आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व दिए जाने की संभावना है.

कितने बागीयों को मिलेगा मौका :- कांग्रेस कमलनाथ सरकार के छह मंत्रियों समेत 22 विधायकों के इस्तीफों की कोख से जन्मी  शिवराज सरकार में कांग्रेस के बागी पूर्व विधायक प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर और महेंद्र सिंह सिसोदिया मंत्री थे, सभी ने इस्तीफा देकर भाजपा की सरकार तो बनवा दी.  अब वादा पूरा करने की बारी भाजपा की है.

वहीं कांग्रेस से बगावत करने वाले बिसाहूलाल सिंह, ऐंदल सिंह कंसाना, हरदीपसिंह डंग और राज्यवर्धन सिंह भी मंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं. इन नेताओं ने कमलनाथ सरकार से बगावत ही इसीलिए किया था, क्योंकि कमलनाथ ने इन्हें मंत्री नहीं बनाया था. ऐसे में इन्हें साधकर रखने के लिए शिवराज मंत्री पद का इनाम दे सकते हैं. हालांकि शिवराज कैबिनेट में मंत्रियों के चयन प्रक्रिया में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका होगी. बागियों में उन्हें ही मंत्री बनाया जाएगा, जिन पर सिंधिया मुहर लगाएंगे. ऐसे में अब देखना है कि 22 में से कितने नेताओं को मंत्री बनाया जाता है.

दावेदार पक्की :- मध्य प्रदेश में 15 महीनों से सत्ता से दूर भाजपा में मंत्री पद के दावेदारों की फेहरिस्त  खासी लंबी है. कमलनाथ सरकार गिराने में बेहद अहम भूमिका निभाने वाले नरोत्तम मिश्रा का मंत्री बनना तय है. इसके अलावा पिछली शिवराज सरकार में मंत्री रहे नेताओं भी दौड़ में माने जा रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष रहे गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, अरविंद सिंह भदौरिया, राजेंद्र शुक्ला, विश्वास सारंग, संजय पाठक, कमल पटेल, विजय शाह, हरिशंकर खटीक, गौरीशंकर बिसेन, अजय विश्नोई जैसे भाजपा के कई विधायक हैं, जिनके मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के पूरी संभावना है.

निर्दलीय भी दाबेदार :-  शिवराज सिंह चौहान को सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है. यही वजह है कि निर्दलीय विधायकों ने भी मंत्री पद के लिए अपने-अपने समीकरण सेट करने शुरू कर दिए हैं. प्रदीप जायसवाल तो पहले ही भाजपा सरकार में शामिल होने की बात कहकर माहौल गर्मा दिया था ,सपा के सदस्य भी दावेदारी में पीछे नहीं हैं. इसके अलावा अन्य निर्दलीय विधायक भी जुगाड़ लगाने में जुट गए हैं, जिनमें ठाकुर सुरेंद्र सिंह नवल सिंह (शेरा भैया) भी शामिल हैं.

 आगामी चुनौती :- कांग्रस की सरकार गिरने से खली हुई 22 और  अशोकनगर व जौरा विधानसभा सीटों पर अगले छै माह में होने बाले उपचुनाव में दोनों ही पार्टीयों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी होगी ? जिस भी पार्टी को 15 से अधिक सीटे मिलती है तो सरकार के अस्थिर होने का खतरा बना ही रहेगा ? ऐसे में एक बार फिर निर्दलीय विधायको की ब्लैक मेलिग़ का शिकार सरकारों को होना होगा ?            मिडिया रिपोर्ट