शहीद किसान दिवस मनाया गया ….

लखीमपुर खीरी की घटना की जीतनी भी निंदा की जाय कम होगी ! परन्तु वहाँ जो घटा उससे पूरा देश शर्मिन्दा है दूसरी ओर किसान मजदूर और समाज का एक बड़ा वर्ग आक्रोषित है ! उनका यह आक्रोश कब, कहाँ और कैसे निकलता है यह तो वक्त ही बतायेगा ! छिन्दवाड़ा में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा, शहीद किसान दिवस मनाया गया, किसान संयुक्त मोर्चे की समन्वय समिति के संयोजक एड. आराधना भार्गव ने  बताया कि आज 12 अक्टूबर को भारत में शहीद किसान दिवस मनाया गया। लखीमपुर खीरी के शहीदों की अन्तिम अरदास आज छिन्दवाड़ा जिले के गुरूद्वारे में 12 बजे से रखी गई थी, जिसमें जिले के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे….
एसकेएम की संयोजक सुश्री भार्गव ने अजय मिश्रा टेनी के केन्द्रीय मंत्री परिषद में बने रहने और उनकी गिरफ्तारी ना होने पर निराशा व्यक्त की, उन्होंने कहा कि अजय मिश्रा की लखीमपुर खीरी के किसान नरसंहार में उनकी भूमिका स्पष्ट है, और पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा अब तक की कार्यवाही नही किया जाना शर्मनाक है। मोदी सरकार अभी भी अजय मिश्रा टेनी का बचाव कर रही है। सुश्री भार्गव ने कहा कि कानून के समक्ष सब बराबर है कोई बड़ा या छोटा नही होता। अजय मिश्रा के मंत्री पद पर बने रहने से पुलिस अधिकारी स्वतंत्रता पूर्वक जाँच नही कर सकते, उन्होंने कहा कि अगर अजय मिश्रा मंत्री पद पर बने रहे तो देश के नागरिकों का कानून एवं पुलिस व्यवस्था से विश्वास उठ जायेगा और देश के नागरिक न्याय प्राप्त करने हेतु कानून अपने हाथ में लेंगे, जिससे देश में अराजकता फैलेगी। सुश्री भार्गव ने बताया कि लखीमपुर खीरी के शहीदों की याद में आज रात 8ः00 बजे मोमबत्ती जलाकर उन्हें श्रृध्दान्जली दी जावेगी।

शहीद दिवस के कार्यक्रम में गुरूद्वारा प्रबंधक के साथी, बौद्धिक नागरिक तथा महेश सोनी (सीपीआईएम) जिला संयोजक, धन्नालाल यादवजी पेंशनर एसोसिएशन के अध्यक्ष, सलील शुक्ला (वाईस प्रेसिडेंट एमएसआरय)ू, वी. एस. दवन्डे, बी.एन.एल. (पेंशनर के संयोजक), अनिरूध पठारिया (युवा किसान नेता), देवीराम भलावी (जीएसयू एमपी, छात्र संगठन), शिवरावेन तिरकाम (छिन्दवाड़ा विश्वविद्यायल प्रभारी, जीएसयू), तुलसी धुर्वे (जीएसयू एमपी प्रदेश सदस्य), सुशील गुर्गा (कैरियर काउसलिंग प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष छिन्दवाड़ा जीएसयू), महिलाओं का प्रतिनिधित्व अंजली साहू (विधि विद्वार्थी बिछुआ), कंचन मालवीया (बीएससी नरसिंग विद्वार्थी) ने उपस्थित होकर अपने विचार व्यक्त किये, सभी साथियों ने कहा कि जब तक तीन किसान विरोधी कानून रद्द नही होंगे संयुक्त मोर्चे की लड़ाई जारी रहेगी।