प्रदेश का हर शख्स 51 हजार का कर्जदार ..

मप्र भाजपा सरकार ने आज 2 लाख 97 हजार करोड़ रूपये का एक मनगढंत आंकड़ों के आधार पर अतिकाल्पनिक बजट पेश किया गया है। भाजपा सरकार ने मप्र में देश की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का बखान किया। मगर मप्र के नागरिक कह रहे हैं कि प्रदेश में तेजी से बढ़ती गरीबी, तेजी से बढ़ती बेरोजारी, तेजी से बढ़ता अपराध, तेजी से बढ़ता कुपोषण, तेजी से मरती गोमाताएं तो देखी हैं, मगर तेजी से बढ़ता विकास नहीं दिखायी दिया। भाजपा सरकार ने विकास को गर्त में धकेल दिया। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुरानी बजट की घोषणाओं को कूड़ेदान में डालते हैं और सुर्खिया बटोरने मात्र के लिए नयी घोषणाएं करते जाते हैं..

राजकोषीय घाटे का सच :- बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमान 52511.34 करोड़ रू. अर्थात राज्य के जीएसडीपी का 4.56 बताया गया है। जो कि फिजीकल रिस्पास्बिलिटी बजट मेनेजमेंट एक्ट के प्रावधान 03 प्रतिशत से कहीं अधिक तो है। मगर वास्तविकता में यह और भी अधिक रहने वाला है। क्यांेकि 2020-21 में वास्तविकता में यह जीएसडीपी का 5.44 प्रतिशत था। अर्थात 2020-21 में राज्य की राजस्व प्राप्तियां 146376.78 करोड़ रू. थी। जिसे बेहद बढ़ाकर 2022-23 में 195179.69 करोड़ रू. बताया गया है जो पूरी तरह काल्पनिक है।

बढ़ता राजस्व व्यय लगातार घटता पूंजीगत व्यय:-
पूंजीगत व्यय प्रदेश के विकास का प्रतिबिंब होता है। प्रदेश भाजपा सरकार ने 2022-23 के बजट में पूंजीगत व्यय 45685.98 करोड़ रू. होना बताया है, जबकि सच्चाई यह है कि 2020-21 में वास्तविक पूंजीगत व्यय मात्र 30355.77 करोड़ रू. था, 2020-21 के बजट में इसे 40666.76 करोड़ रू. बताया था, जबकि पुनरीक्षित अनुमान में यह 37089.06 करोड़ रू. है और वास्तविक आंकड़े जब आयेंगे वह इससे भी कम होंगे।
प्रदेश भाजपा सरकार की आर्थिक लापरवाही और भीषणतम भ्रष्टाचार का परिणाम है कि प्रदेश कर्ज के गर्त मंे चला गया है। प्रदेश का कर्ज का ब्याज भुगतान, और स्थापना का खर्च, कुल राजस्व प्राप्तियों का 47.75 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अर्थात 2022-23 में बजट अनुमानों के आधार पर यह खर्च 195179.69 करोड़ रू. तक पहुंच गया है। अर्थात बजट की कुल विनियोग की राशि 279237 करोड़ रू. में से 195179.69 करोड़ रू. राजस्व व्यय में ही खर्च की जायेगी।

भाजपा सरकार ने प्रदेश को आकंठ कर्ज में डुबो दिया:-
मप्र पर आज शुद्ध ऋण 298348.78 करोड़ रू. का है तथा अन्य दायित्व या देनदारियों को मिला दें तो 383388.03 करोड़ रू. हैं। अर्थात मप्र के प्रत्येक नागरिक पर शिवराज सरकार ने 51 हजार 118 रू. का कर्जदार बना दिया है। इस कर्ज के ब्याज का भुगतान कुल राजस्व प्राप्तियों का 11.36 प्रतिशत तक पहुंच गया है और कुल बकाया ऋण राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 30.18 प्रतिशत तक पहुंच गया है जो चिंताजनक है।

मप्र के किसानों के साथ कुठाराघात करते हुए किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के बजट में मात्र 3 प्रतिशत की बृद्धि की है। इतना ही नहीं उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण का बजट तो 4 प्रतिशत कम कर दिया गया है। इसी तरह नगरीय विकास और आवास विभाग का बजट भी पिछले वर्ष की तुलना मंे एक प्रतिशत कम कर दिया गया है। जल संसाधन विभाग के बजट में भी 7 प्रतिशत की कटौती की गई है। नर्मदाघाटी विकास विभाग का बजट भी 11 प्रतिशत कम किया गया है।

इसी प्रकार चिकित्सा शिक्षा विभाग का बजट भी 4 प्रतिशत कम कर दिया गया है। उच्च शिक्षा विभाग में मात्र 01 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग में सिर्फ 01 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। अर्थात प्रदेश के अन्नदाता-भाग्यविधाता किसानों और प्रदेश के अधोसंरचना विकास और सामाजिक सरोकारों के साथ कुठाराघात किया गया है। उक्त आरोप कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे ने लगाते है !