पेट की तपिश ने 40 सेल्सियस तापमान में 2 किमी का रास्ता तय करने की किया मजबूर , घर में नहीं था खाने का सामान , राशन के लिए घंटो लाइन में लगे रहे फिर पैर को खड़े कर दिया गोले में….इन दिनों पूरे देश में लॉकडाउन है. अचानक आये सरकार के इस फैसले से करोड़ों लोगों की जिंदगी थम सी गई है. लाखो लोग बर्बाद हो गए हैं , तो करोड़ो लोगो के सामने खाने और रहने का संकट भस्मासुर के तरह मुहँ बाये खड़ा है ? जो इस देश के करोडो मजदूरों को अपने राक्षसी पेट में नगल जाने के लिए आतुर है ? सरकार के दावे एक तरफ लोगो में सिर्फ आस जगा रहे है परन्तु आस के आसरे पेट की तपिश शांत नही हो जाती है ? २१वीं सदी के आधुनिक युग में जनता के सामने 2G ,3 G और 4 G का डाटा , अत्याधुनिक तकनीक तो भरपूर है ! मिलियन, ट्रिलियन जैसी बड़ी बड़ी बाते तो है परन्तु इन सब के बीच एक नंगा यह भी है की देश की स्वास्थ्य ब्य्वस्थायो का सच ? सरकारे बनाने और गिराने की तड़प ? देश की बदहाल आर्थिक स्थिति के बीच कोरोना से मौत की विभीषिका सरकारों को आइना दिखा रही है ? सरकार के दावे एक तरफ लेकिन हर रोज दिहाड़ी मजदूरों के कुछ ऐसे किस्से सामने आ ही जाते हैं जो सिस्टम की असफलता और जिंदगी जीने के लिए इनकी दो रोटी का संघर्ष समाज के सामने ला देते हैं….
काफी देर के बाद इस दिव्यांग पर पूर्व विधायक जजपाल सिंह की नजर पड़ी. उन्होंने बुजुर्ग को वहीं लाकर भोजन दिया, साथ ही तांगा बुलवाकर उन्हें घर भिजवाया. इतना ही नहीं उन्होंने आगे भी लॉकडाउन के दौरान दिव्यांग बुजुर्ग के घर राशन और भोजन भेजने की बात कही है.
दिव्यांग बुजुर्ग ने बताया कि सात साल पहले एक ट्रेन हादसे में उनका पैर कट गया था. तब से ही वह असहाय हैं उनके घर में 6 सदस्य हैं लेकिन खाने के लिए कुछ नहीं बचा. इसलिए जब राशन वितरण की खबर मिली तो यहां पहुंच गए.