पंडित श्री राम शर्मा ने अपना जीवन सामाजिक-चारित्रिक उत्थान के लिए किया समर्पित: सुश्री उइके

राज्यपाल गायत्री मंत्र का महत्व तथा पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य की किताबों पर आयोजित ऑनलाइन विचार गोष्ठी में हुई शामिल !अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य भारत के एक युगदृष्टा मनीषी थे। उन्होंने अपना जीवन, समाज की भलाई तथा सांस्कृतिक व चारित्रिक उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। गायत्री मंत्र ऐसा मंत्र है जो अन्य कई मंत्रों से अधिक शक्तिशाली बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र का उच्चारण करने और इसका अर्थ समझाने से साक्षात ईश्वर की प्राप्ति होती है। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज गायत्री मंत्र का महत्व तथा पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य की 3200 किताबों पर आयोजित ऑनलाइन विचार गोष्ठी को संबोधित कर रही थी।
राज्यपाल ने कहा कि युगव्यास परम पूज्य गुरूदेव ने अपने जीवन में 3200 पुस्तकें लिखी। उनका हर साहित्य क्रांति का शंखनाद है। अखिल विश्व गायत्री परिवार के रूप में यह जो विशाल संगठन खड़ा हुआ है वह उनकी लेखनी का ही प्रभाव है। उनकी लेखनी में ऐसी क्षमता है कि पढ़ने वाले को वैसा ही कर्म करने के लिए विवश कर दे। उन्होंने स्वयं इसके बारे में स्पष्ट रूप से कहा ‘‘न हम अखबार नवीस हैं न बुक सेलर, हम तो युगदृष्टा हैं, हमारे ये विचार क्रांति के बीज हैं, फैल गये तो सारी विश्व वसुधा को हिलाकर रख देंगे।’’ गुरूदेव के विचार थे कि ‘‘अवसर तो सभी को जिन्दगी में मिलते हैं, किन्तु उनका सही वक्त पर सही तरीके से इस्तेमाल कुछ ही कर पाते हैं।‘‘
राज्यपाल ने कहा कि गुरूदेव ने अपने भौतिक जीवन की सांध्य बेला में परिजनों के विशेष आग्रह पर अपनी आत्मकथा लिखी ‘‘मेरी वसीयत और विरासत’’, जिसे पढ़कर लाखों लोगों ने अपना जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने अपनी लेखनी से सामाजिक कुरीतियों का हमेशा विरोध किया।
राज्यपाल ने कहा कि गुरूेदव का सपना ‘‘मानव में देवत्व का उदय रहा है और इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने अखण्ड ज्योति पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया। यह गायत्री परिवार की प्रमुख मासिक पत्रिका है, जिसका मुख्य उद्देश्य ‘धर्म तंत्र से मानव की सेवा’ करना है। यह मासिक पत्रिका विभिन्न समसामयिक लेखों के साथ-साथ जीवन के प्रत्येक विषय से संबंधित समस्याओं के व्यावहारिक समाधानों की ओर प्रेरित करती है। यदि गुरूदेव की आत्मवाणी रूपी इन अनमोल साहित्यों का अनुवाद छत्तीसगढ़ी में किया जाए तो निःसंदेह छत्तीसगढ़वासी इसका लाभ काफी सहजता से प्राप्त करने में सक्षम हो पाएंगे।