पंचायत चुनाव निरस्तीकरण के लिए राज्यपाल को प्रस्ताव ..

मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर लगातार भ्रम की स्थिति बनी हुई थी ! आज इस पर कोहरे के कुछ बादल छ्टे और प्रदेश सरकार ने एहतियाती कदम उठाते या कदम वापस लेते हुए बीते महीने लाये गए अध्यादेश को वापस लेने और पंचायत चुनाव निरस्त कराने को लेकर राज्यपाल को प्रस्ताव भेजा है। राज्यपाल राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव निरस्तीकरण के लिए निर्देश दे सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने मुताबिक यह प्रक्रिया जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट को वस्तुस्थिति से अवगत कराने के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा ..

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज दोपहर राज्यपाल मंगू भाई पटेल से मुलाकात की। इसमें उन्होंने कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय से अवगत कराया। प्रस्ताव को राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही चुनाव आयोग पंचायत चुनाव स्थगित करने का एलान कर देगा। मध्य प्रदेश के पंचायत चुनावों को लेकर असमंजस खत्म होता नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को पंचायत चुनावों में OBC आरक्षण पर रोक लगाते हुए पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों के लिए दोबारा नोटिफिकेशन जारी करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर ओबीसी विरोधी होने के आरोप लगा रहे थे।

कांग्रेस नेताओं ने शिवराज सरकार के उस अध्यादेश को भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें रोटेशन व्यवस्था खत्म कर 2014 की स्थिति में चुनाव कराने का फैसला किया था। यह अध्यादेश विधानसभा के पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र में कानून नहीं बन पाया और इस वजह से खुद-ब-खुद निरस्त हो गया है। इसके बाद 2019 में कमलनाथ सरकार के फैसले के आधार पर नए परिसीमन और रोटेशन के आधार पर पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। इसे कांग्रेस की बड़ी जीत समझा जा रहा है।

हालांकि, कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि विधानसभा में अपरिहार्य कारणों से अध्यादेश पारित नहीं हो पाया। साथ ही ओमिक्रॉन समेत कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए पंचायत चुनावों को रद्द किया जाना ही बेहतर है। इसके लिए डॉ. मिश्रा ने कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया है। डॉ. मिश्रा शुक्रवार को ही कह चुके थे कि कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए उनकी व्यक्तिगत राय में पंचायत चुनावों को टाल देना ही बेहतर होगा। कोई भी चुनाव किसी की जिंदगी से बड़ा नहीं है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि किस स्थिति में चुनाव होंगे, यह स्पष्ट नहीं है। वैधानिक स्थिति या किसी और स्थिति पर कुछ कहना संभव नहीं है।

कांग्रेस ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य शासन के अध्यादेश के विरोध में पैरवी करने वाले कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील विवेक कृष्ण तन्खा ने कहा कि “अगर यह समाचार सही है तो ठीक कदम है। ऑर्डिनेन्स को सरकार ने लैप्स होने दिया। मेरा तर्क यही तो था। इतनी सारी अर्गल बातें मेरे बारे में बोलने की क्या ज़रूरत थी। संवाद सभ्य होना चाहिए। मतभेद को मनभेद मत बनाइए।” दरअसल, कुछ ही दिन पहले तन्खा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्री भूपेंद्र सिंह और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को 10 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस भेजा था।

कमलनाथ बोले- देर आए , दुरुस्त आए :- पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि हम तो पहले दिन से ही कह रहे थे कि सरकार असंवैधानिक तरीके से मध्य प्रदेश में पंचायत के चुनाव कराने जा रही है। सरकार पंचायत चुनाव अधिनियम के तहत जारी अध्यादेश को तत्काल वापस ले, हम यही मांग पहले दिन से कर रहे थे।
कमलनाथ ने ट्विटर पर कहा कि अगर सरकार यह निर्णय पहले दिन से ही ले लेती तो ना यह स्थिति बनती और ना ओबीसी वर्ग का हक छिनता। हम पहले दिन से कह रहे थे कि संवैधानिक प्रक्रियाओं का व पंचायती राज अधिनियम का पालन करते हुए मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव हों। ओबीसी वर्ग को उसका हक मिले, रोटेशन का पालन हो, परिसीमन हो लेकिन शिवराज सरकार ने अड़ियल रवैया अपनाए रखा। इसको लेकर हमने पुरजोर ढंग से सड़क से लेकर सदन तक अपनी बात रखी, सरकार के इस निर्णय का विरोध किया और आखिर आज सत्य की जीत हुई। अब हम उम्मीद करते हैं कि ओबीसी वर्ग के साथ न्याय होगा और उनको उनका हक मिलेगा। मिडिया रिपोर्ट