नौ महीने इंतजार के बाद मिला मामा जी का ठुल्लू ….

इस आन्दोलन को ख़त्म करने के लिए कांग्रेस और भाजपा के दलाल लगातार सक्रीय रहे , बाबजूद इसके अतिथि विद्वानों का संबल नही डिगा पाए !आशंका है कुछ कॉलेज वार्कलोड न होने का बहाना कर नहीं कराएंगे ज्वाइनिंग:अतिथि विद्वान

पूरे वर्ष सत्ता के गलियारों में महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का मुद्दा छाया रहा।इसी अतिथि विद्वान नियमितीकरण के मुद्दे पर मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार बनी और कमलनाथ सरकार गिरी लेकिन सत्ता के केंद्र पर रहे इस चर्चित मुद्दे पर वर्तमान शिवराज सरकार एक भी कदम अभी तक आगे नही बढ़ी है।आलम यह है कि अतिथि विद्वानों का आंदोलन शाहजहानी पार्क भोपाल में कई महीने लंबा चला जो मध्य प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन साबित हुआ और इसी आंदोलन ने सत्ता की जड़ों को हिलाकर रख दिया ! इस आन्दोलन को ख़त्म करने के लिए कांग्रेस और भाजपा के दलाल लगातार सक्रीय रहे , बाबजूद इसके अतिथि विद्वानों का संबल नही डिगा पाए !

इस आंदोलन में सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सहित सभी वर्तमान कैबिनेट मंत्री तक आए और बोले कि सत्ता में आते ही अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण हम पहली ही कैबिनेट में करेंगे।राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया तो सड़क तक में उतर आए थे अतिथि विद्वानों के पक्ष में,पर विद्वानों के हाथ अब भी खाली।संघ के अध्यक्ष वा मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने सरकार से आग्रह किया है कि तत्काल सभी अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमित करें।

शासन तत्काल प्राचार्यों को निर्देश जारी कर अतिथि विद्वानों को आवंटित महाविद्यालय में ज्वाइनिंग देने को कहे
संघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए शासन प्रशाशन से अनुरोध किया है कि आज 9 महीने बाद सरकार बाहर हुए 1800 अतिथि विद्वानों में से लगभग 900 विद्वानों को पुनः व्यवस्था में लेने जा रही है जिसकी प्रक्रिया जारी है लेकिन कई बार देखा गया है कि महाविद्यालय में पद पोर्टल में रिक्त दिखता है और अतिथि विद्वानों को आवंटित भी हो जाता है लेकिन जब अतिथि विद्वान ज्वाइन करने जाते हैं तो संबंधित प्राचार्य बहाना बनाते हैं कि वर्कलोड नहीं है और नियुक्ति नहीं दी जाती जिससे अतिथि विद्वानों को दोहरी मार पड़ती है।डॉ पांडेय ने मांग की है कि उच्च शिक्षा विभाग एक स्पष्ट आदेश जारी करे की जो महाविद्यालय अतिथि विद्वान को आवंटित हो महाविद्यालय प्राचार्य तत्काल ज्वाइन करवायें जिससे 9 महीने से बाहर हुए अतिथि विद्वान व्यवस्था में आ सकें।
चॉइस फिलिंग,फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों की मुसीबत का हल या मामा जी का ठुल्लू ….?
अतिथि विद्वान डॉ जेपीएस चौहान ने बताया कि दुर्भाग्य है कि अपनी पूरी जिंदगी उच्च शिक्षा में लगा देने वाले,पिछले 25 वर्षों से उच्च शिक्षा की सेवा करने वाले सर्वोच्च शैक्षणिक योग्यता रखने वाले अतिथि विद्वानों को बार बार च्वाइस फीलिंग की अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है।1800 अतिथि विद्वान पिछले 9 महीने से दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।लेकिन वर्तमान सरकार भी पिछली सरकार के कैबिनेट से पास हुए 450 पोस्ट को वित्त से पिछले 6 महीने से पृष्ठांकन तक नहीं करा पाई।आज लगभग 900 अतिथि विद्वानों की चॉइस फिलिंग सरकार करवा रही है लेकिन बचे 900 अतिथि विद्वान कहा जाएंगे इसका उत्तर कोई नहीं देता।सरकार वाकई गंभीर है तो सभी अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करे,उसके अभाव में चॉइस फिलिंग की प्रक्रिया केवल मामा जी का ठुल्लू …. साबित होगा ?