स्वार्थी तत्वों ने तार-तार कर दी महाविद्यालय की गरिमा….

शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज खिरसाडोह ,जिला छिंदवाड़ा का नाम और गरिमा कुछ स्वार्थी तत्वों की अति महत्वकांक्षाओ के चलते बुरी तरह से बदनाम हो गया है ! आज इस  महाविद्यालय की गरिमा पर अनेकों प्रश्न चिन्ह लग गए हैं ? जहां प्रभारी प्राचार्य और उनकी तिकड़ी ने भ्रष्टाचार, अनियमितताएं ,असंवैधानिक कार्य को निर्बाध रूप से संचालित कर इस महाविद्यालय के पवित्र दमन को कलंकित करने का काम कर रहे हैं ,बावजूद इसके जिले में पदस्थ उच्चाधिकारी और प्रतिष्ठित राजनेताओं के संज्ञान मैं आने के बावजूद भी प्रभारी प्राचार्य और उनकी तिकड़ी द्वारा लगातार अवैधानिक कार्य संचालित किए जाना सभी की गरिमा के ऊपर खासकर जिला प्रशासन और महाविद्यालय प्रशासन की गरिमा को भी तार-तार कर रहा है ? क्या यह प्रभारी प्राचार्य और  उनके संगठित गिरोह के अलावा जिला प्रशासन और महाविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत का नतीजा तो नहीं है ? जो वर्षों से प्रभारी प्राचार्य अयोग्य होते हुए भी यहाँ जमे हुए हैं ? ऐसे अनेक अनुत्तरित सवालों के जवाब आज नहीं तो कल सबके सामने होंगे और एक-एक कर सभी जिम्मेदारों के चेहरों पर से सुचिता का पर्दा  बेनकाब होगा ? हमें इंतजार है तो बस इस बात का कि महाविद्यालय की गरिमा पुनर्स्थापित हो…..

जानकार बताते है की शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज खिरसाडोह ,जिला छिंदवाड़ा के  प्रभारी प्राचार्य  आर के पांडे अपनी विवादास्पद कार्यप्रणाली के चलते पहले से ही बदनाम है जैसे महाविद्यालय में खरीदी और सप्लाई में अनियमितता और भ्रष्टाचार  जैसे गंभीर आरोप से कलंकित इस प्रभारी प्राचार्य ने महाविद्यालय की गरिमा को तार-तार कर दीया है ? लगातार विवादित रहने के बावजूद भी वह अपनी इस छवि से शायद संतुष्ट नजर आते हैं तभी तो आए दिन नए-नए कारनामे कर सुर्ख़ियों में रहने की चाह उन्हें  विवादास्पद बना देती है !

आर के पांडे प्रभारी प्राचार्य होने के अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं करते हैं महत्वपूर्ण और जो प्राचार्य को अनिवार्य रूप से करने वाले कार्य जैसे बच्चों की मार्कशीट , स्थानांतरण प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करना जैसे गंभीर विषयों को बड़े हल्के में लेते हुए महाविद्यालय में खुद के सशरीर रहने के बावजूद किसी भी अन्य व्याख्याता या संविदा पर नियुक्त टीचर से बच्चों के स्थानांतरण प्रमाण पत्र, मार्कशीट पर उनसे सिग्नेचर करवाते हैं जो कि अति गंभीर मामला है और जो म प्र सिविल सेवा वर्गीकरण एवं नियन्त्रण एवं अपील नियमो के तहत पदीय कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करना दण्डनीय अपराध है ! अब देखना होगा की जिला प्रशासन इस अति गंभीर मामले को कितनी गंभीरता से लेता है ?

ऐसे में सवाल यह उठता है की प्रभारी प्राचार्य आखिर ऐसा क्यों कर रहा है ? क्या उसे प्रभारी पद से कोई दिलचस्पी नही है या फिर उनके सैकड़ो काले कारनामे सामने आने की वजह से आत्मग्लानि महसूस हो रही है ? जिसकी संभावना कमतर प्रतीत होती है !या फिर वह बच्चों के सुनहरे भविष्य का प्रतीक उनकी पढ़ाई का उज्जवल प्रमाण मार्कशीट पर अपने कलंकित हाथों से अपने नाम का कलंक लगाना नहीं चाहते हो ? जो भी हो हमें इससे क्या , यह उनका व्यक्तिगत मामला है ……जारी